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This Article is From Apr 17, 2024

GMC Bhopal: आत्महत्या वाली गुमनाम चिट्ठी से मचा हड़कंप, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन करेगा जांच

Gandhi Medical College: गांधी मेडिकल कॉलेज के इन 5 जूनियर डॉक्टरों ने कथित तौर पर ये खत लिखा है. इसके साथ ही इन्होंने धमकी भी दी है कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो वे सामूहिक आत्महत्या कर लेंगे. हालांकि, इस खत में किसी का नाम नहीं है. लेकिन इस में मानसिक दबाव की वजह काम का दबाव और दुर्व्यवहार को बताया है.

GMC Bhopal: आत्महत्या वाली गुमनाम चिट्ठी से मचा हड़कंप, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन करेगा जांच

Gandhi Medical College Bhopal: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) के गांधी मेडिकल कॉलेज में सोमवार देर शाम एक चिट्ठी वायरल होने से हड़कंप मच गया है. दरअसल, इस चिट्ठी में  5 रेजिडेंट डॉक्टर्स ने काम के दबाव में अब से दो महीने बाद सामूहिक आत्महत्या की धमकी दी है. हालांकि, खत लिखने वालों के नाम गुमनाम है. इन डॉक्टरों ने चिट्ठी में लिखा है कि गांधी मेडिकल कॉलेज में दिन-रात, हर पल, हम जहरीली सांस ले रहे हैं. हम लंबे समय से इस जहरीली संस्कृति का हिस्सा हैं. हमने सोचा था कि डॉक्टरों की शहादत के बाद कुछ बदल जाएगा, लेकिन चीजें अभी भी वैसी ही है.

गांधी मेडिकल कॉलेज के इन 5 जूनियर डॉक्टरों ने कथित तौर पर ये खत लिखा है. इसके साथ ही इन्होंने धमकी भी दी है कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो वे सामूहिक आत्महत्या कर लेंगे. हालांकि, इस खत में किसी का नाम नहीं है. लेकिन इस में मानसिक दबाव की वजह काम का दबाव और दुर्व्यवहार को बताया है. हालांकि, दूसरे डॉक्टर खुलकर दबाव और दुर्व्यवहार की शिकायत को सही कह रहे हैं.

फाइमा करेगा जांच

वहीं, इस पूरे मामले पर फाइमा के स्टेट प्रेजिडेंट डॉक्टर हरीश पाठक का कहना है कि अगर ये चिट्ठी सच्ची है, तो इसकी हम कड़ी निंदा करते हैं. इसके पहले भी दो आत्महत्या हो चुकी है. ये मामला अति संवेदनशील है. हम इसकी जांच सत्यता के आधार पर कर रहे हैं. हमने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं. किसी को कोई भी परेशानी है, तो वो हम से संपर्क कर सकते हैं. उनकी पहचान छुपा कर रखी जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम जल्द ही जनसुनवाई तरह का कांसेप्ट भी लागू करेंगे.

GMC में इसलिए बन रहे ऐसे हालत

  1. आरोप है कि एक दिन की भी छुट्टी नहीं मिलती है.
  2. इमरजेंसी ड्यूटी में कई दिनों तक लगातार काम करना पड़ता है.
  3. जूनियर और रेजिडेंट डॉक्टर्स से ज़्यादा काम लिया जाता है.
  4. कोर्स बीच में छोड़ने पर 30 लाख का बॉन्ड भरवाया जाता है.

अस्पताल ने मदद का दिया भरोसा

अस्पताल के प्रवक्ता कुलदीप गुप्ता ने बताया कि काम का प्रेशर तो रहता है. सबसे बड़ा अस्पताल है, लेकिन यहां स्टाफ की कमी है. स्टाफ अगर बढ़ जाए, तो थोड़ी राहत मिल सकती है. हालांकि, उन्होंने कहा कि पिछले समय में चीज़ें बदलने की कोशिश की गई है, लेकिन इसपर और ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा अगर हो रहा है, तो ये चिंताजनक है. गुप्ता ने आश्वासन दिया कि जूडा से कोई संपर्क में आता है, तो हम मदद की पूरी कोशिश करेंगे.

HOD को स्टूडेंट्स के संपर्क में रहने के निर्देश

दरअसल, ये गुमनाम चिट्ठी फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के नाम लिखी गई है. चिट्ठी मिलते ही कॉलेज प्रबंधन में हड़कंप मच गया है. डीन ने सभी विभागों की बैठक बुलाई है. फाइमा ने मामले के लिए पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन भी कर दिया है. अस्पताल प्रबंधन ने भी सभी HOD को लगातार स्टूडेंट्स के संपर्क में रहने के निर्देश दिए हैं.

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दो डॉक्टर कर चुकी हैं आत्महत्या

गांधी मेडिकल कॉलेज में ये पहली घटना नहीं है. इसके पहले भी यहां आकांक्षा और बाला सरस्वती नाम की दो डॉक्टर आत्महत्या कर चुकी हैं. दोनों ने ही एनेस्थीसिया के इंजेक्शन लेकर आत्महत्या की थी. बाला सरस्वती ने सुसाइड नोट में वर्क लोड और प्रबंधन को ज़िम्मेदार ठहराया था, जिसके बाद विभागध्यक्ष अरुणा कुमार को हटाया भी गया था. 

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