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महादेव का वो मंदिर... जहां शिवलिंग का कोई अंत नहीं, शिवरात्रि पर जानें यहां की मान्यता

Maha Shivratri : ये मंदिर आज भी मध्य प्रदेश के इस जिले के बीचों-बीच स्थित है. जो भी श्रद्धालु यहां आता है, वह इस अद्भुत शिवलिंग के दर्शन जरूर करता है. महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और महादेव की विशेष पूजा होती है.

महादेव का वो मंदिर... जहां शिवलिंग का कोई अंत नहीं, शिवरात्रि पर जानें यहां की मान्यता
महादेव का वो मंदिर... जहां शिवलिंग का कोई अंत नहीं, शिवरात्रि पर जानें यहां की मान्यता

Maha Shivratri 2025 : ग्वालियर का अचलेश्वर महादेव मंदिर शिव भक्तों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां स्थापित शिवलिंग की कहानी बेहद रोचक और चौंकाने वाली है. कहते हैं कि इस शिवलिंग को हटाने की कई कोशिशें की गईं, लेकिन कोई भी इसे हिला नहीं सका. कहा जाता है कि अचलेश्वर महादेव मंदिर माज़ एक धार्मिक जगह नहीं है.  इसे आस्था और चमत्कार का प्रतीक भी माना जाता है. मान्यता है कि सच्चे मन से जो कोई भी यहां आता है.... उन भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. बता दें कि बुधवार 27 फरवरी को महाशिवरात्रि है. इस मौके पर इस मंदिर में सिर्फ ज़िले से ही नहीं बल्कि दूर-दराज से भी आस्था का सैलाब उमड़ेगा. इस मौके पर आइए - हम इस मंदिर और यहां स्थापित शिव लिंग से जुड़ी रोचक मान्यताएं जान लेते हैं.

शिवलिंग हटाने के लिए राजा ने की थी कोशिश

करीब 750 साल पहले, जहां आज यह मंदिर स्थित है, वहां एक बड़ा पीपल का पेड़ था. यह पेड़ सड़क के बीचों-बीच होने के कारण रास्ता रोक रहा था. खासतौर पर विजयदशमी के समय सिंधिया परिवार की शाही सवारी के दौरान परेशानी होती थी. इसलिए राजा ने इस पेड़ को हटाने का आदेश दिया.

जैसे ही पेड़ को काटा गया, वहां अचानक एक शिवलिंग प्रकट हो गई. राजा को लगा कि इसे भी हटाना जरूरी है, ताकि रास्ता साफ हो सके. इसके लिए बड़ी खुदाई करवाई गई, लेकिन शिवलिंग का कोई अंत नहीं मिला.

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हाथियों से भी नहीं हिल सकी शिवलिंग

राजा ने शिवलिंग को उखाड़ने के लिए हाथियों का सहारा लिया. हाथियों से इसे बांधकर खींचने की कोशिश की गई, लेकिन जंजीरें टूट गईं, पर शिवलिंग अपनी जगह से नहीं हिली.

रात में राजा को एक सपना आया, जिसमें स्वयं महादेव ने कहा कि यदि तुमने इसे हटाने की कोशिश की तो तुम्हारे परिवार का विनाश हो जाएगा. ये सुनकर राजा घबरा गए और सुबह होते ही शिवलिंग की पूजा-अर्चना करवाई. तब से यह शिवलिंग वहीं स्थापित है और इसे अचलेश्वर महादेव कहा जाता है.

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आज भी सड़क के बीचों-बीच विराजमान हैं महादेव

ये मंदिर आज भी ग्वालियर शहर के बीचों-बीच स्थित है. जो भी श्रद्धालु यहां आता है, वह इस अद्भुत शिवलिंग के दर्शन जरूर करता है. महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और महादेव की विशेष पूजा होती है.

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Disclaimer: (यहां दी गई जानकारी लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है. )

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