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मध्‍य प्रदेश में मानवता शर्मसार: भिंड में 5KM पैदल, दमोह में ऑटो में ले जाना पड़ा शव

मध्य प्रदेश के भिंड और दमोह में अस्पतालों द्वारा शव वाहन उपलब्ध कराने से इनकार करने के बाद परिवारों को शवों को कंधों पर और ऑटो में ढोने के लिए मजबूर होना पड़ा. ये घटनाएँ राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में गंभीर खामियों को उजागर करती हैं और प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल उठाती हैं. 

मध्‍य प्रदेश में मानवता शर्मसार: भिंड में 5KM पैदल, दमोह में ऑटो में ले जाना पड़ा शव

मध्यप्रदेश में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही ने एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर दिया है. भिंड और दमोह दोनों जिलों से ऐसी घटनाएँ सामने आई हैं, जहाँ परिजन अपने मृतक को शव वाहन न मिलने की वजह से खुद ही घर तक ले जाने को मजबूर हुए. कहीं परिजनों ने शव कंधे पर रखकर 5 किलोमीटर पैदल चलाया, तो कहीं ऑटो में डालकर घर भेजा.

भिंड में परिजन कंधे पर लेकर चले 5 किलोमीटर

भिंड जिले के अटेर रोड चंदनपुरा निवासी 19 वर्षीय विकास जाटव दशहरा के दिन अपने दोस्तों के साथ कार में सवार हुए. हादसे की सूचना परिजन तक पहुंची और उन्हें जिला अस्पताल लाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने ग्वालियर रैफर कर दिया. रास्ते में विकास की मौत हो गई. पोस्टमार्टम के बाद परिजनों ने शव वाहन मांगा, लेकिन अस्पताल परिसर में मौजूद दो वाहन होने के बावजूद मदद नहीं मिली. मजबूर होकर परिजनों ने शव कंधे पर रखकर घर तक लगभग 5 किलोमीटर पैदल चलाया. भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी इस दौरान उनके साथ थे.

दमोह में ऑटो में डालकर ले जाने की मजबूरी

वहीं, दमोह शहर में घंटाघर के पास से भी एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई, जिसने संवेदनशीलता को शर्मसार कर दिया. यहाँ पोस्टमार्टम के बाद शव को अस्पताल प्रशासन की उदासीनता के कारण ऑटो में पीछे डालकर घर भेजा गया. जबकि जिला अस्पताल परिसर में दो सरकारी शव वाहन खड़े रहते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि ये वाहन केवल उन्हीं मरीजों के परिजनों को दिए जाते हैं जिनकी मौत अस्पताल परिसर में होती है, जबकि बाहर या अन्य स्थानों से आए मृतकों के लिए कोई सुविधा नहीं दी जाती.

गुस्सा और प्रदर्शन

भिंड में परिजनों और ग्रामीणों ने सड़क पर शव रखकर विरोध प्रदर्शन किया. भीम आर्मी के कार्यकर्ता मौके पर पहुँचे और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. अधिकारियों ने जांच के आदेश दिए और सहायता का आश्वासन दिया. ढाई घंटे से अधिक समय तक जाम लगा रहा.

प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल

दोनों घटनाओं ने प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र की संवेदनहीनता और व्यवस्था की कमी को उजागर किया है. लोगों का कहना है कि जब सरकार शव वाहन जैसी मूलभूत सुविधा के लिए बजट देती है, तो ज़मीनी स्तर पर इसे जरूरतमंद तक क्यों नहीं पहुँचाया जाता. परिजन और स्थानीय समुदाय ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और मृतक परिवार को आर्थिक सहायता की मांग की है.

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