मध्य प्रदेश के सतना में डॉक्टर की लापरवाही की वजह से बुखार से तप रही एक महिला की मौत हो गई, ये आरोप पीड़ित परिवार का है. मृतक महिला के परिवार का आरोप है कि आयुर्वेदिक डॉक्टर ने बुखार से पीड़ित रजाबाई को गलत इंजेक्शन लगा दिया, जिसकी वजह से उसकी जान चली गई. वहीं इस मामले में सतना के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एलके तिवारी का कहना है कि घटना की जांच कराकर डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. हैरान करने वाली बात यह है कि आयुर्वेदिक डॉक्टर ने बिना किसी सर्टिफिकेट मरीज को एलोपैथी ट्रीटमेंट दे दिया, जिसकी कीमत उसको जान देकर चुकानी पड़ी.
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डॉक्टर की लापरवाही ने ली महिला की जान
डॉक्टर की लापरवाही की यह घटना जिला चिकित्सालय सतना के पास संचालित अंकुर मेडिकोज की है. यहां एक आयुर्वेदिक महिला डॉक्टर एलोपैथी इलाज दे रही थी. पन्ना जिले के पटना तमौली गांव की राजाबाई विश्वकर्मा नाम की महिला तो तेज बुखार था. इलाज के लिए उसका पति राम किशोर उसे सतना लेकर आया था. पहले वह मरीज को भरहुत नगर के सिटी लेकर गया. वहां पर एक आशा कार्यकर्ता की सलाह पर वह पत्नी राजाबाई का अंकुर मेडिकोज में बैठने वाली डॉ पूनम अग्रवाल से इलाज कराने पहुंचा. जानकारी के मुताबिक महिला को नॉर्मल बुखार था और उसका हीमोग्लोबिन करीब नौ पॉइंट था.
इलाज के दौरान आयुर्वेदिक डॉक्टर पूनम ने बुखार से तप रही राजाबाई को डायक्लोविन और एसीलॉक नाम के दो इंजेक्शन लगा दिए. इंजेक्शन लगते ही उसे बेचैनी होने लगी और वह क्लीनिक के गेट पर ही लेट गई. महिला की खराब हालत को देखते हुए मेडिकल स्टोर के संचालक ने उसे टैबलेट दी. इस टैबलेट को खाने के बाद महिला बेहोश हो गई और कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया.
गलत पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप
बताया जाता है कि पन्ना की रहने वाली राजाबाई सतना के सिटी हॉस्पिटल में इलाज कराने आई थी. इसी दौरान उसके पति की आशा कार्यकर्ता गीता सिंह से मुलाकात हुई. गीता ने कहा कि वह एक अच्छी डॉक्टर को जानती है. जिसके बाद वह दोनों को अंकुर मेडिकोज हॉस्पिटल चौक लेकर आ गई. यहां पर आयुर्वेदिक डॉक्टर के इंजेक्शन लगाते ही महिला की मौत हो गई.
अवैध रुप से चल रहा था क्लीनिक
बताया जाता है कि आयुर्वेदिक डॉ पूनम अग्रवाल नियमों तो ताक पर रखकर क्लीनिक चला रही थी. आयुर्वेदिक डॉक्टर होने के बाद भी वह मरीजों को एलोपैथी दवाएं दे रही थी, जब कि यह उसके अधिकार में नहीं था. इसके बावजूद भी वह न केवल एलौपैथी डॉक्टर के तौर पर पर्चा लिख रही थी बल्कि इंजेक्शन भी दे रही थी. चौकाने वाली बात यह है कि यह अवैध क्लीनिक जिला अस्पताल के बिल्कुल सामने चल रहा था और विभागीय अधिकारियों को इस बात की भनक तक नहीं लगी या कहा जाए कि देखकर भी वह अनजान बने रहे.
इंजेक्शन से महिला की मौत का मामला सामने आने के बाद एनडीटीवी की टीम ने सीएमएचओ से फोन पर बात की. उन्होंने साफ कहा कि आयुर्वेद का डॉक्टर एलोपैथी के अनुसार इलाज करने की पात्रता नहीं रखता. ऐसे में इस मामले की जांच कराने के बाद जरूरी कार्रवाई की जाएगी.
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