Madhya Pradesh News: सर्दियों का मौसम आ चुका है. रात में तापमान काफी नीचे चला जाता है. जिन लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं है या वो लोग जो दूसरे शहर से किसी नए शहर में जाते हैं और आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं, रैन बसेरे उनका सहारा बनते हैं. रतलाम शहर (Ratlam) में तीन रेन बसेरे हैं और तीनों पर एनडीटीवी की टीम ने पहुंच कर यहां मिलने वाली सुविधाओं का जायजा लिया.
रजिस्टर में दर्ज बाहरी लोगों के नाम
सबसे पहले एनडीटीवी के संवाददाता श्यामा प्रसाद मुखर्जी बस स्टैंड स्थित आश्रय स्थल पहुंचे, लेकिन यहां ताला लगा हुआ मिला. बस स्टैंड पर कार्यरत कर्मचारी ने ताला खोला. बात करने पर पता चला कि यह रेन बसेरा 9 बजे खुलता है और गरीब निराश्रित लोग यहां आते हैं, मगर जब एंट्री रजिस्टर देखा तो सभी बाहर के निवासियों के नाम दर्ज नज़र आए.
रैन बसेरे पर ठेकेदार का कब्जा
एनडीटीवी के संवाददाता फिर नगर निगम से कुछ ही दूरी पर स्थित एक अन्य रैन बसेरे पर पहुंचे. इस रैन बसेरे का नज़ारा देखते ही बन रहा था. अंदर चार लोग नज़र आए. एक खाना बना रहा था बाकि अन्य मटन का मज़ा ले रहे थे. पूछने पर पता चला कि वह रतलाम के महलवाड़े के द्वार का काम करने आए हुए हैं और पिछले कई महीनों से यहां रह रहे हैं. महिला कक्ष में भी दो व्यक्ति नज़र आए और पूरे कक्ष का हाल बेहाल था. इस रैन बसेरे पर ठेकेदार का कब्ज़ा दिखाई दिया. पूरे कक्ष में ठेकेदार के कारीगर ठहरे हुए दिखे जो झारखंड से आए हुए हैं.
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रैन बसेरे के बाहर सोते मिले लोग
इस दौरान नगर निगम के गेट के बाहर कुछ लोग सोते दिखाई दिए. पूछने पर उन्होंने बताया कि आधार कार्ड मांगते हैं और वह हमारे पास है नहीं. जिन लोगों के लिए रैन बसेरे जैसी सुविधा बनाई गई है, वही लोग उसके बाहर सो रहे हैं. कुल मिलाकर सरकार की यह योजना पात्र लोगों को फायदा पहुंचाती हुई नहीं दिख रही है.
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