
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में जल्द ही दो और नए जिले बन सकते हैं. सब कुछ ठीक रहा तो अमरवाड़ा और बीना को नए जिले के रूप में पहचान मिल सकती है. अमरवाड़ा और बीना से कांग्रेस विधायक हाल में ही में बीजेपी में शामिल हुए हैं. अब उनकी मांग है कि अमरवाड़ा और बीना जल्द से जल्द जिला बनाया जाए. दरअसल, एमपी में तेजी से नए जिले बनाने की मांग जोर पकड़ रही है. लगभग सभी विधायक जिला बनाने की डिमांड लेकर बैठे हैं. वहीं, विपक्ष इसे फिजूल खर्च बता रहा है. हालांकि, कैमरे पर माननीयों के बयान के बावजूद उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला कह रहे हैं ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
प्रदेश के माननीयों की मानें तो विकास जिले के दरवाजे से ही आता है. हालत ये है कि सत्ता से लेकर संगठन तक हर कोई जिले की मांग कर रहा है. बीजेपी विधायक दिलीप सिंह परिहार कहते हैं कि हमने सरकार के सामने नीमच को जिला बनाने की जोर शोर से मांग उठाई थी. नीमच जिला बन गया. वहीं, बीजेपी विधायक प्रीतम लोधी कहते हैं कि पिछोर हमारा जिला बने, इसके लिए मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर सबसे मिल चुके हैं. आने वाले समय में जो कुछ भी बन पड़ेगा, हम इसके लिए करेंगे.

जल्दबाजी में जिला बनाना ठीक नहीं
हालांकि, कुछ माननीयों को लगता है जिला बनाने में जल्दबाजी दिखाना खजाने पर भारी पड़ रहा है. सागर से बीजेपी विधायक शैलेंद्र जैन कहते हैं कि कुछ क्षेत्रों को जरूर जिला बनाने में जल्दबाजी हुई है. उस पर सरकार को काम करना चाहिए. वहीं, बीजेपी विधायक मोहन राठौर कहते हैं कि सरकार के पास समीक्षा करने की व्यवस्था है. ऐसे में जो जिले जल्दबाजी में बनाए गए हैं, उन जिलों के गठन की समीक्षा भी हो सकती है.
एक के बाद एक बनते चले गए जिले
दरअसल, मध्य प्रदेश के 68 साल के इतिहास में आधा दर्जन बार से ज्यादा नए जिले बनाए गए, जिनमें 16 ज़िले छत्तीसगढ़ राज्य के साथ चले गए. इस वक्त मध्य प्रदेश में कुल 55 जिले और 10 संभाग हैं. इसके अलावा, 4 ज़िले बीना, अमरवाड़ा , नागदा और चाचौड़ा प्रस्तावित हैं. 1956 में मध्य प्रदेश के गठन के समय 43 जिले 8 संभाग थे. 2003 में सत्ता में आते ही बीजेपी ने 3 नए जिले अनूपपुर, बुरहानपुर और अशोकनगर बनाए. इस तरह राज्य में 48 जिले हो गए थे. इसके बाद 2008 में 2 नए जिले सिंगरौली और अलीराजपुर बनाए गए. इस तरह कुल जिले 50 हो गए थे. फिर 2013 में एक नया जिला आगर-मालवा बनाया गया. 2023 में 4 नए जिलों का ऐलान किया गया. इस तरह मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या 55 हो गई है.
कर्ज के बोझ तले दबा है मध्य प्रदेश
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार पर फिलहाल लगभग 4 लाख करोड़ का कर्ज़ है. हर महीने राज्य का खर्च औसतन 25000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. जानकार कहते हैं कि एक ज़िले के गठन में अनुमानित खर्च 500 करोड़ से ज्यादा का खर्च आता है.
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सबके अपने-अपने हैं तर्क
हालांकि, प्रशासनिक मामलों के जानकार ये मानते हैं कि छोटे जिलों में प्रशासनिक कामकाज जल्दी और बेहतर होता है. जनता के साथ प्रशासन का संवाद बढ़ता है. कानून-व्यवस्था नियंत्रण में रखना आसान होता है. इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ता है, लेकिन दूसरी तरफ तर्क ये है कि इससे खजाने पर बोझ बढ़ता है. ये सत्ता के विकेंद्रीकरण का विकल्प नहीं है. नए जिला मुख्यालय बनने से वहां रहने की लागत और महंगाई भी बढ़ जाती है.
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