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This Article is From Nov 22, 2023

Gwalior: चुनाव के चलते आधे-अधूरे अस्पताल का कर दिया उद्घाटन, सिर्फ आगे का हिस्सा बनकर तैयार

किसी भी अस्पताल के लिए सबसे जरूरी विभाग ICU होता है लेकिन वह भी बंद पड़ा है. इसमें गंभीर मरीजों को भर्ती करने के लिए 20 बेड मुहैया कराने की भी बात कही गई थी लेकिन वह अभी चालू नहीं हो पाया है. यह बंद इसलिए पड़ा है क्योंकि आसपास के पास अभी निर्माण कार्य चल रहा है. जगह-जगह मलबा फैला है. धूल उड़ रही है...नतीजतन पर्दा लगाकर उस रास्ते को ढांक दिया गया है. 

Gwalior: चुनाव के चलते आधे-अधूरे अस्पताल का कर दिया उद्घाटन, सिर्फ आगे का हिस्सा बनकर तैयार
चुनाव के चलते आधे-अधूरे अस्पताल का कर दिया उद्घाटन, सिर्फ आगे का हिस्सा बनकर तैयार

चुनावों में लाभ और विकास का क्रेडिट लेने के लिए नेताओ में होड़ मची रही लेकिन नेताओं के इस विकास कार्यों की बदसूरत शक्ल अब दिखाई देने लगी है और जिसका खामियाज़ा लोगों को भुगतना पड़ रहा हैं. ताज़ा मामला ग्वालियर से सामने आया हैं. ग्वालियर के मुरार जिला अस्पताल का हाल बदहाल है. अस्पताल के बनावट पर करोड़ों रुपये खर्च किये गए और चुनावों से पहले जल्दबाजी में इसका उदघाटन भी करा लिया गया लेकिन उद्घाटन के बाद भी यह अस्पताल बनकर तैयार नहीं हो पाया है. 70 दिन बीतने के बाद भी यहां का काम अधूरा पड़ा है. डॉक्टर से लेकर मरीज तक परेशान है. हॉस्पिटल की ICU भी बंद पड़ी है और डेंगू वार्ड में स्टोर रूम बना दिया गया है. 

करोड़ों का खर्चा करके भी पूरा नहीं बना अस्पताल 

मुरार हॉस्पीटल को जिला अस्पताल का दर्जा मिलने के बाद इसके रिनोवेशन के लिए करोड़ों रुपये का बजट पास हुआ. काम चल ही रहा था कि अचानक चुनाव आ गए. ऐसे में नेताओं ने विकास कार्य गिनने के लिए आधे-अधूरे काम वाले भवन का ही उदघाटन कर दिया. आखिर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथों 30 सितंबर को इसका उद्घाटन भी करवा लिया गया. 

एक ही कमरे में तीन डॉक्टर कर रहे इलाज 

अस्पताल अभी तक पूरी तरह से नहीं बना है. तस्वीरों में आप अस्पताल के आगे का हिस्सा भी देख सके हैं. लेकिन वहीं अस्पताल के पीछे की तस्वीरें नेताओं के दावों की पोल खोलती नज़र आ रही हैं. नए कमरे तैयार नहीं हुए हैं. लिहाजा पुराने आठ कमरों में ही OPD चल रही है जिसके चलते एक कमरे में औसतन तीन डॉक्टर एक साथ बैठकर मरीजों को देख रहे हैं. इन्हीं कमरों में आयुष्मान योजना के डॉक्टर्स के बैठने की भी व्यवस्था है. नतीजतन इसमें धक्कमपेल के हालात बने रहते हैं. 

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काफी दिनों से बंद पड़ा है हॉस्पिटल का ICU 

किसी भी अस्पताल के लिए सबसे जरूरी विभाग ICU होता है लेकिन वह भी बंद पड़ा है. इसमें गंभीर मरीजों को भर्ती करने के लिए 20 बेड मुहैया कराने की भी बात कही गई थी लेकिन वह अभी चालू नहीं हो पाया है. यह बंद इसलिए पड़ा है क्योंकि आसपास के पास अभी निर्माण कार्य चल रहा है. जगह-जगह मलबा फैला है. धूल उड़ रही है...नतीजतन पर्दा लगाकर उस रास्ते को ढांक दिया गया है. 

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निर्माण के चलते जगह जगह गड्ढे खुदे हुए पड़े है और मलबा भी नहीं उठाया गया जिससे निकलने के लिए मरीज और अटेंडरों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. लोगों के लिए परचा बनवाना ही बड़ा चुनौती का काम हो गया है. खासतौर से बुजुर्ग व दिव्यांगों को इन्हीं गड्ढ़ों से होकर पर्चा बनवाने के लिए जाना पड़ता है. इनमें गिरकर कई लोग चोटिल भी हो चुके हैं. 

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