
Madhya Pradesh Election Results: अपनी गारंटी के दम पर कर्नाटक चुनाव जीतने से उत्साहित कांग्रेस पार्टी ने मध्य प्रदेश चुनाव जीतने के लिए भी 11 गारंटियों की घोषणा की थी. लेकिन ये लोकलुभावन घोषणाएं भी पार्टी की नैया पार नहीं लगा पाई. जीत के लिए उत्साहित कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश में 5 बजे तक की मतगणना के मुताबिक 230 सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 67 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. हालत ये है कि कांग्रेस के कई दिग्गज खुद अपनी सीट भी नहीं बचा पाए.
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे अपनी आखिरी पड़ाव की ओर है. अभी तक की मतगणना के मुताबिक बीजेपी 230 में 166 सीटों पर जीतती नजर आ रही है. वहीं, कांग्रेस पार्टी 63 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है.
आइए, जानते हैं क्या थी कांग्रेस की वो 11 गारंटी
चुनाव में कांग्रेस ने समाज के सभी वर्गों को साधने के लिए कई लोकलुभावन घोषणाएं की थी. कांग्रेस ने अपनी घोषणाओं में महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह देने का ऐलान किया था. वहीं महंगाई की मार से परेशान गृहणियों को राहत देने के लिए 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने की बात कही थी. आम लोगों को राहत देने के लिए 100 यूनिट तक बिजली बिल माफ और 200 यूनिट तक हाफ करने की घोषणा की गई थी. इसके अलावा किसानों के दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने के साथ ही सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने का वादा भी की थी. इतना ही नहीं कांग्रेस ने किसानों को 5 हार्स पावर तक बिजली बिल माफ करने का ऐलान करने के साथ ही सिंचाई के पुराने बिजली बिल भी माफ करने की घोषणा की थी. इसके साथ ही 12 घंटे सिंचाई के लिए बिजली सुनिश्चित करने की बात भी रही थी. भी कांग्रेस ने किया था. इसके अलावा किसान आंदोलन के मुकदमे वापस लेने का भी पार्टी ने ऐलान किया था. लेकिन, लोकलुभावन वादों के बाद भी इसके बाद भी यहां सरकार नहीं बना सकी.
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ओबीसी कार्ड भी हुआ विफल
इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी जनगणना का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया था. इसके साथ ही पार्टी ने चुनाव जीतने के बाद 27 % ओबीसी आरक्षण का लाभ देने का वादा भी किया था. कांग्रेस की प्लानिंग इस चुनाव में जीत हासिल करने के 2024 के लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को पूरे देश में जोर शोर से उठाने की थी. लेकिन, मौजूदा चुनावों में मिली हार के बाद पार्टी इस मुद्दे को अब ठंडे बस्ते में डाल सकती है. माना जा रहा है कि इस मुद्दे के उठाने के बाद भी कांग्रेस को ओबीसी का साथ तो मिला नहीं, उल्टे बचे खुचे सवर्ण वोटर्स भी पार्टी से दूर हो गए हैं.
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