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एमपी सरकार ने कॉलेजों को ये 88 पुस्तकें खरीदने के दिए निर्देश, संघ के इन नेताओं की किताबें भी हैं शामिल

Higher Education: विपक्षी कांग्रेस ने इसे बीजेपी शासन की ओर से कॉलेज के छात्रों के मन में विभाजनकारी और घृणित विचारधारा भरने का प्रयास बताया है. कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने कहा है कि जिन लेखकों के नाम इस सूची में शामिल हैं, उनका शिक्षा जगत से कोई ताल्लुक़ नहीं है.

एमपी सरकार ने कॉलेजों को ये 88 पुस्तकें खरीदने के दिए निर्देश, संघ के इन नेताओं की किताबें भी हैं शामिल

National Education Policy: मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) ने राज्य के कॉलेजों को 88 पुस्तकों की एक सूची से पुस्तकें खरीदने का निर्देश दिए हैं, ताकि, छात्रों को भारतीय ज्ञान परंपरा से परिचित कराया जा सके.

मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने जिन पुस्तकों को खरीदने का निर्देश दिया है. इन 88 पुस्तकों की सूची में वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी सुरेश सोनी, दीनानाथ बत्रा (जो आरएसएस के शिक्षा विंग विद्या भारती के पूर्व महासचिव हैं) और डॉ. अतुल कोठारी (जो आरएसएस के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व महासचिव हैं) की लिखी पुस्तकें भी शामिल हैं. इस सूची में आरएसएस के शिक्षा विंग विद्या भारती के संकलनों वाली किताबें भी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कॉलेजों को भेजा गया यह नया निर्देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप है.

उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों को लिखा पत्र

राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने हाल ही में सभी सरकारी कॉलेजों, अनुदानित गैर-सरकारी और निजी कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र लिखकर भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ (सेल) गठित करने के निर्देश दिए हैं, ताकि विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों के जरिए छात्रों को भारतीय ज्ञान और परंपराओं से परिचित कराया जा सके.

संघ के इन नेताओं की हैं पुस्तकें

एक सूची में 88 पुस्तकों का भी उल्लेख किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस सूची की पुस्तकें भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के लिए खरीदी जाएं. इन 88 पुस्तकों में से तीन पुस्तकें सुरेश सोनी ने लिखी गई है, जबकि सबसे ज्यादा 14 पुस्तकें विद्या भारती के पूर्व महासचिव दीनानाथ बत्रा ने लिखी हैं. दीनानाथ बत्रा को शिक्षा के क्षेत्र में आरएसएस के सबसे बड़े विचारकों में से एक माना जाता है. उन्होंने कुछ साल पहले कथित रूप से पंजाबी क्रांतिकारी कवि अवतार पाश की कविता ‘सबसे खतरनाक' को कक्षा 11 की हिंदी पाठ्यपुस्तक आरोह से हटाने का प्रस्ताव दिया था. सूची में कम से कम दस पुस्तकें डॉ. अतुल कोठारी (एबीवीपी के पूर्व महासचिव) और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव की हैं. इसके अलावा, लंबी सूची में विद्या भारती के संकलनों वाली किताबें और स्वामी विवेकानंद की व्यक्तित्व विकास पर लिखी गई पुस्तकें भी शामिल हैं. इनमें से कई पुस्तकें वैदिक गणित से संबंधित भी हैं. 

कांग्रेस ने दी तीखी प्रतिक्रिया

विपक्षी कांग्रेस ने इसे बीजेपी शासन की ओर से कॉलेज के छात्रों के मन में विभाजनकारी और घृणित विचारधारा भरने का प्रयास बताया है. कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने कहा है कि जिन लेखकों के नाम इस सूची में शामिल हैं, उनका शिक्षा जगत से कोई ताल्लुक़ नहीं है. वे सिर्फ़ एक विचारधारा विशेष को ही समर्पित रहे हैं. कांग्रेस सरकार बनने पर हम इस आदेश का खात्मा करवाएंगे.क्या ऐसी विचारधारा से जुड़े लेखकों की पुस्तकें शिक्षण संस्थाओं में किस राष्ट्र प्रेम और बलिदानों की प्रेरणा बनेगी?

क्या ऐसी ही विचारधारा को तिरंगा यात्रा

वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा है कि मुद्दा यह नहीं है कि इन पुस्तकों को किस लेखक या संगठन ने लिखा या प्रकाशित किया है, बल्कि यह है कि इससे कॉलेज के छात्रों के ज्ञान के आधार और समग्र व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. वैसे, शिक्षा के भगवाकरण में क्या गलत है.कम से कम हम वामपंथी विचारकों द्वारा फैलाए गए राष्ट्रविरोधी विचारधारा को तो आगे नहीं बढ़ा रहे हैं, जिन्होंने कभी हमारे स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम और संबंधित पुस्तकों को प्रभावित किया था.

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दरअसल, इस साल जून में एमपी के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (जो पिछले बीजेपी शासन में उच्च शिक्षा मंत्री थे) ने घोषणा की थी कि राज्य के स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में हिंदू देवता राम और कृष्ण की शिक्षाओं को भी शामिल किया जाएगा.

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