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बांग्लादेश में अशांति से ग्वालियर-चंबल का ये उद्योग हुआ चौपट, 20 हजार लोगों की रोजी-रोटी पर संकट

Protest in Bangladesh: बांग्लादेश के इस हालात के बाद खली के निर्यात रुकने से मजदूरों के लिए रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है. दरअसल, कारोबारियों ने घाटे के डर से 1500 कर्मचारियों और मजदूरों को घर बैठा दिया है.

बांग्लादेश में अशांति से ग्वालियर-चंबल का ये उद्योग हुआ चौपट, 20 हजार लोगों की रोजी-रोटी पर संकट

Student Protest in Bangladesh: बांग्लादेश में चल रहे सियासी संकट से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर-चंबल (Gwalior-Chambal) संभाग में भी ट्रकों के पहिये थम गए हैं, जिसकी वजह से माल ढुलाई का काम करने वाले हेल्पर से लेकर ट्रांसपोर्टर (Transporter), ड्राइवर (Driver) और मिल मालिको के लिए रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.

दरअसल, ग्वालियर चंबल सरसों का बड़ा बेल्ट है, जहां से बांग्लादेश के लिए सरसों की खली का निर्यात होता है, लेकिन बांग्लादेश में हो रही हिंसा से कारोबार ठप पड़ा हुआ है. बांग्लादेश में चल रहे ताजा उठापटक से ग्वालियर-चंबल के 50 सरसों तेल मिल के अलावा राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 150 से अधिक तेल मिल बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं.

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बांग्लादेश हिंसा से यहां भी बिगड़े हालात

बांग्लादेश में हो रही हिंसा से मध्य प्रदेश में सरसों तेल की इकाई ठप हो गई है. इसकी वजह से 20 हजार मजदूर, ट्रांसपोर्टरों और मिल संचालकों पर आर्थिक संकट गहरा गया है.

इस संकट पर मुरैना के मिलर्स एसोसिएशन अध्यक्ष संजीव जिंदल कहते हैं कि बांग्लादेश में जो अस्थिरता चल रही है, उससे पूरा व्यापार बंद हो गया है. हमारे कई रैक खड़े हैं. ये सभी बांग्लादेश नहीं जा पा रहे हैं. पूरे यूनिट बंद हो गए.

मुरैना में हैं 50 तेल मिल

वहीं, मुरैना के मिलर्स एसोसिएशन के सचिव गौरव गुप्ता ने बताया कि मुरैना में जो 50 तेल मिल हैं. इसके अलावा, मुरैना सेंट्रल में है. यह राजस्थान और यूपी से भी जुड़ा हुआ है. यूपी में जो सॉल्वेंट प्लांट है. वहां से भी जो खली निकलती है. वह मुरैना से 30 रैक जाती थी, लेकिन बांग्लादेश में जुलाई से चल रहे प्रदर्शन और हिंसा की वजह से प्रभावित है. इसकी वजह से डीओसी प्लांट से लेकर तेल मिल तक सभी बंद हो गई है.

ग्वालियर और चम्बल का बांग्लादेश से है सीधा कनेक्शन

दरअसल, ग्वालियर और चम्बल के 50 से अधिक मिलों में सरसों तेल और खली का उत्पादन किया जाता है. इन सभी मिलों से मुरैना जिले की लगभग आधा दर्जन सॉल्वेंट प्लांट को खली की बिक्री होती है, जिससे यहां पर 8 प्रतिशत तेल निकालकर डीओसी बनाया जाता है, जिसका निर्यात बांग्लादेश को किया जाता है, जिससे मुर्गी दाना, मछली दाना और पशु आहार के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

बांग्लादेश है खली का सबसे बड़ा आयातक

इस पूरे मामले पर मप्र चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण अग्रवाल बताते हैं कि यहां से 11 रेक गए थे, 7 रेक अब भी फंसे हुए हैं.

तेल मिलों से लेकर माल ढुलाई में हजारों लोग काम करते हैं. अब हालत ऐसी हो गई है कि मजदूरों को मिल मालिक घर बैठाने लगे हैं, जब तक दूसरे देश में खरीदार मिलेगा, तब तक बड़ी हानि हो सकती है. उनके मुताबिक यहां से 90 प्रतिशत आयात अकेले बांग्लादेश करता था.

ऐसे में वहां स्थितियां सामान्य होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे निर्यातकों के साथ ही आयातकों को भी नुकसान हो रहा है.

अब तक 1500 कर्मचारियों की हुई छंटनी

बांग्लादेश के इस हालात के बाद खली के निर्यात रुकने से मजदूरों के लिए रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है. दरअसल, कारोबारियों ने घाटे के डर से 1500 कर्मचारियों और मजदूरों को घर बैठा दिया है.

मजदूरों पर मंडरा रहा रोजी-रोटी का संकट

सॉल्वेंट प्लांट में काम करने वाले मजदूर राम तीरथ सिंह बताते हैं कि एक महीने से काम बंद है. पहले 700-800 रुपये हर दिन कमा लेते थे, लेकिन माल सप्लाई नहीं हो रहा है, इसलिये काम मिलना बंद हो गया है. एक मजदूर चंदन चौधरी ने बताया कि बीवी बच्चों को छोड़ कर बिहार से आया था. पहले काम मिलने से कमाई हो जाती थी, लेकिन अब काम पूरी तरह से बंद हो गया है. हालत ये हो गई है कि अब काने के साथ ही घर जाने के लिए भी संकट है. पैसे नहीं है, घर कैसे जाएं.

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ट्रक ड्राइवर भी है परेशान

ट्रक ड्राइवर जबर सिंह कुशवाहा कहते हैं कि यहां काम बंद होने से मेरा ट्रक 15 दिन से खड़ा है. काम ही नहीं है, भूखे मरने की नौबत आ गई है. खली का तेल निकालने के बाद पशु आहार में काम आता है, चूंकि इसका सबसे बड़ा खरीदार बांग्लादेश है. इसलिये ग्वालियर-चंबल परेशान है.

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