Madhya Pradesh Cyber Scam: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में पुलिस ने एक ऐसी साइबर ठगी का खुलासा किया है, जिसने सबको हैरान कर दिया. वर्षों से निष्क्रिय पड़े बैंक खातों के जरिए लगभग 10 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया. इनमें एक मृत व्यक्ति का खाता भी शामिल है. इस पूरे रैकेट में स्थानीय युवकों के साथ बैंक का एक अस्थायी कर्मचारी भी शामिल पाया गया. पुलिस की कार्रवाई में भारी मात्रा में डिजिटल उपकरण, एटीएम कार्ड और दस्तावेज़ मिले हैं.
अब तक की सबसे बड़ी साइबर लूट
बैतूल जिले में करीब 9 करोड़ 84 लाख 95 हजार रुपये की साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. पुलिस की मानें तो ठगों ने 6 जीवित और 1 मृत व्यक्ति के बैंक खातों को इस्तेमाल करते हुए करोड़ों का लेनदेन किया और आश्चर्य की बात यह है कि असली खाताधारकों को इसकी भनक तक नहीं लगी.
बंद और निष्क्रिय खातों का गलत इस्तेमाल
जांच में पता लगा कि जिन खातों का उपयोग ट्रांजैक्शन के लिए किया गया, वे कई सालों से निष्क्रिय पड़े थे. एक खाता तो मृत व्यक्ति का था. पुलिस यह समझने की कोशिश कर रही है कि बिना किसी प्रक्रिया के ऐसे खातों का उपयोग कैसे संभव हुआ. यह पहलू सीधे बैंकिंग सिस्टम की सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है.
पुलिस ने पकड़े 3 आरोपी
छापेमारी के दौरान पुलिस को जितना सामान मिला, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह सिर्फ छोटा-मोटा फ्रॉड नहीं था बल्कि एक संगठित साइबर गैंग सक्रिय था. बरामदगी में शामिल हैं...
- 15 मोबाइल फोन
- 25 सिम कार्ड
- 21 एटीएम कार्ड
- 11 पासबुक, 7 चेकबुक
- 2 लैपटॉप, 2 पीओएस मशीनें
- 69 एटीएम जमा रसीदें, राउटर, रजिस्टर
- 28 हजार रुपये नकद
इस मामले में पुलिस ने इंदौर के दो युवकों और बैतूल के एक युवक को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस का मानना है कि गैंग में और लोग भी शामिल हो सकते हैं.
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कैसे हुई फ्रॉड की शुरुआत
एसपी बैतूल वीरेंद्र जैन के अनुसार, मामला तब खुला जब केडी गांव का रहने वाला आदिवासी मजदूर विश्राम ईवेने भयभीत हालत में पुलिस ऑफिस पहुंचा. उसने बताया कि उसके खाते से पिछले महीने लगभग दो करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ है, जबकि उसे इसकी कोई जानकारी नहीं थी. यह सुनते ही पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की.
मजदूरों के खातों का गलत इस्तेमाल
पुलिस जांच में सामने आया कि मुख्य आरोपी टेकाड़ी का रहने वाला है. वह गरीब आदिवासी मजदूरों के बैंक खाते अपने कब्जे में लेकर उनसे जुड़े मोबाइल नंबर बैंक में बदलवा देता था. मोबाइल नंबर बदलते ही खाते पर उसका पूरा नियंत्रण हो जाता था. इसके बाद उन्हीं खातों में करोड़ों रुपये जमा और निकाले जाते रहे. सिर्फ पिछले पांच महीनों में आरोपी ने करीब दो करोड़ रुपये इन्हीं खातों से ट्रांसफर किए.
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इंदौर में बैठे थे ऑपरेटर
पुलिस पूछताछ में पता लगा कि गिरोह इंदौर से संचालित हो रहा था. यहां बैठा अंकित नाम का आरोपी मोबाइल बैंकिंग के जरिए खातों को चलाता था. एटीएम से कैश निकालने के लिए उसने अलग-अलग लोगों को लगा रखा था. पुलिस ने उसके पास से 21 एटीएम कार्ड और 15 मोबाइल फोन बरामद किए हैं.