Balaghat SP Cried: बालाघाट हॉक फोर्स के जांबाज़ निरीक्षक आशीष शर्मा की शहादत ने पूरे मध्य प्रदेश पुलिस परिवार को गहरे दुख में डुबो दिया है. उनकी अंतिम यात्रा में ऐसा भावुक माहौल बन गया कि पुलिस अधीक्षक तक अपने आंसू नहीं रोक सके. नक्सल ऑपरेशन्स में अपनी बहादुरी का लोहा मनवाने वाले आशीष शर्मा की वीरगाथा अब यादों में अमर हो गई है.
अंतिम यात्रा में SP फूट-फूटकर रो पड़े
बालाघाट के अंबेडकर चौक से पुलिस लाइन तक निकाली गई श्रद्धांजलि यात्रा में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा भावनाओं पर काबू नहीं रख पाए और अंतिम दर्शन के दौरान फूट-फूटकर रो पड़े. पुलिस के जवानों ने उन्हें संभाला. अब ये भावुक वीडियो काफी वायरल हो रहा है. पुलिस लाइन में अमर शहीद आशीष शर्मा को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए गए और शोक सलामी दी गई.
नक्सलियों से मुठभेड़ में हुए थे शहीद
दरअसल, 19 नवंबर 2025 की सुबह हॉक फोर्स के निरीक्षक आशीष शर्मा नक्सलियों से भिड़ते हुए शहीद हो गए थे. एमपी–छत्तीसगढ़–महाराष्ट्र की सीमा पर चलाए गए विशेष नक्सल-विरोधी ऑपरेशन में उन्हें चार गोलियां लगीं. आशीष शर्मा वही अफसर थे जिनके एनकाउंटर मध्य प्रदेश पुलिस अकादमी में मॉडल केस की तरह पढ़ाए जाते हैं.
DSP Santosh Patel ने याद किए अपने साथी
NDTV से बातचीत में डीएसपी संतोष पटेल ने बताया कि वे और आशीष कई ऑपरेशनों में साथ रहे. उन्होंने कहा कि “आशीष ऐसा अफसर था जिसे बड़े अफसरों से अच्छे संबंध होने के बावजूद अहमियत का घमंड कभी नहीं हुआ. उसका व्यवहार और काम दोनों ही बेहतरीन थे. उसकी शहादत जीवनभर नहीं भूल पाएंगे.”
दो बार मिला गैलेंट्री अवॉर्ड
आशीष शर्मा को उनकी वीरता के लिए दो बार गैलेंट्री मेडल मिला था. उनके नेतृत्व में चलाए गए ऑपरेशन्स इतने प्रभावशाली थे कि डीएसपी प्रशिक्षण के दौरान इन्हें विशेष रूप से पढ़ाया जाता था. एक एसआई होते हुए भी उन्हें 20 जवानों की टीम लीड करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जो अपने आप में उनकी क्षमता का बड़ा प्रमाण है.
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चार नक्सली ढेर करने वाला चर्चित ऑपरेशन
फरवरी 2025 में बालाघाट के रौंदा जंगल में चले ऑपरेशन में आशीष और उनकी टीम ने चार नक्सलियों को ढेर किया था. इससे पहले भी उनकी टीम तीन नक्सलियों का सफाया कर चुकी थी. इन ऑपरेशन्स का अध्ययन आज भी पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण का हिस्सा है और उन्हें मौके पर ले जाकर घटना स्थल दिखाया था.
हर मिशन में आगे रहने वाला योद्धा
प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को बताया जाता था कि आशीष कैसे घने जंगलों में कई दिनों तक भूखे रहकर भी ऑपरेशन को पूरा करते थे. वह न सिर्फ बहादुर थे, बल्कि अपनी टीम की सुरक्षा और रणनीति पर भी बराबर ध्यान देते थे. उनके साथी अक्सर कहते थे कि "आशीष सबसे आगे चलता था, लेकिन टीम को हमेशा सुरक्षित घर वापस लाता था."
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जनवरी में होने वाली थी शादी
नरसिंहपुर जिले के बोहानी गांव के निवासी आशीष शर्मा की उम्र सिर्फ 31 साल 9 महीने थी. जनवरी 2026 में उनकी शादी होने वाली थी. लेकिन किस्मत ने उससे पहले ही उन्हें देश की सेवा में कुर्बान कर दिया. 20 नवंबर 2025 को उनके गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा. गांव में शोक की लहर है और हर चेहरा अपने वीर बेटे को याद कर नम है.