मध्य प्रदेश के नीमच जिले में सायबर सेल ने एक बुजुर्ग दंपत्ति को मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर डराकर ठगी करने की कोशिश को समय रहते विफल कर दिया. विकास नगर क्षेत्र में रहने वाले सेवानिवृत्त दंपत्ति को 8 दिसंबर 2025 से लगातार व्हाट्सएप कॉल और वीडियो कॉल के माध्यम से मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा था. ठगों ने खुद को दिल्ली पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी बताकर उन्हें कथित “डिजिटल अरेस्ट” में डाल दिया और मनी लॉन्ड्रिंग केस में नाम आने की धमकी दी.
बच्चों को जेल भेजने की धमकी
सायबर ठगों ने दंपत्ति को किसी से भी इस घटना के बारे में बात न करने के लिए कहा और बच्चों को जेल भेजने की धमकी देकर दबाव बनाया. डर और मानसिक दबाव में आकर बुजुर्ग दंपत्ति ने पेंशन और जीवनभर की बचत से बनी कई एफडी तोड़कर लगभग 60 लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर कर दिए. इसी बीच उनकी बेटी को लेन-देन पर संदेह हुआ और उसने इंदौर क्राइम ब्रांच से संपर्क किया.
सायबर सेल नीमच की टीम महज सात मिनट में मौके पर पहुंची
सूचना मिलते ही सायबर सेल नीमच की टीम महज सात मिनट में मौके पर पहुंची और दंपत्ति को साइबर ठगों के चंगुल से सुरक्षित बाहर निकाला. टीम ने करीब दो घंटे तक बुजुर्ग दंपत्ति को काउंसलिंग दी और समझाया कि “डिजिटल अरेस्ट” जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती और पुलिस कभी वीडियो कॉल के जरिए कार्रवाई नहीं करती. इस दौरान ठग लगातार कॉल करके दबाव बनाने की कोशिश करते रहे.
दंपत्ति से मुलाकात कर उन्हें समझाया
नीमच पुलिस अधीक्षक अंकित जायसवाल ने भी दंपत्ति से मुलाकात कर उन्हें समझाया कि साइबर ठग ईडी, सीबीआई, नारकोटिक्स, टैक्स अथवा पुलिस अधिकारी बनकर कॉल करके डराते हैं और पैसे ऐंठते हैं. उन्होंने अपील की कि बुजुर्ग अपने अनुभव दूसरों से साझा कर जागरूकता फैलाएं.
इस कार्रवाई में सायबर सेल प्रभारी प्रदीप शिंदे, प्रआर आदित्य गौड़, आरक्षक लखन प्रताप सिंह, कुलदीप सिंह, सोनेन्द्र राठौर, राहुल सोलंकी और क्राइम ब्रांच इंदौर के उप निरीक्षक शिवम ठक्कर की अहम भूमिका रही. नीमच पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि अनजान व्हाट्सएप कॉल और वीडियो कॉल से सावधान रहें, बैंक या निजी जानकारी साझा न करें और संदेह होने पर तुरंत परिजनों या पुलिस को सूचित करें.
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