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This Article is From Apr 07, 2024

Loksabha Election से पहले कांग्रेस के जिला अध्यक्ष ने इस्तीफे का ऐलान किया तो मुरैना में सीनियर MLA ने प्रभारी पद छोड़ा, जानें इस बात पर फूटा गुस्सा 

Loksabha Election: मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. यहां कांग्रेस के बीच अंदरूनी कलह चल रही है. नेता पार्टी छोड़ रहे हैं. ग्वालियर में भी टिकट बंटवारे के बाद अब कांग्रेस में विरोध के स्वर फूटने लगे हैं. 

Loksabha Election से पहले कांग्रेस के जिला अध्यक्ष ने इस्तीफे का ऐलान किया तो मुरैना में सीनियर MLA ने प्रभारी पद छोड़ा, जानें इस बात पर फूटा गुस्सा 

Loksabha Election 2024: लगभग 25 दिनों तक चली लम्बी जद्दोजहद के बाद शनिवार की रात कांग्रेस पार्टी ने अपनी बाकी दोनों लोकसभा सीटों ग्वालियर और मुरैना लोकसभा सीट के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है.  ग्वालियर से प्रवीण पाठक और मुरैना सीट से सत्यपाल सिंह सिकरवार को अपना प्रत्याशी बनाया है. दोनों ही सीटों पर पार्टी के नेता बगावती तेवर दिखा रहे हैं. ग्वालियर शहर जिला अध्यक्ष ने साफ कर दिया है कि उनके विरोध के बावजूद पाठक को टिकट दिया गया है. इसलिए वे चुनाव के बाद पद छोड़ देंगे. उधर मुरैना में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विधायक ने मुरैना के प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया है.  

ग्वालियर में पाठक का विरोध क्यों ? 

दरअसल प्रवीण पाठक और जिला कांग्रेस संगठन के बीच शुरू से छत्तीस का आंकड़ा रहा है. पाठक ग्वालियर दक्षिण क्षेत्र से 2018 से विधायक चुने गए थे. तब से वे संगठन से दूरी बनाकर चलते रहे. 2023 में वे चुनाव हार गए थे.  पिछले महीनें जब लोकसभा चुनाव (Loksabha Election)को लेकर उनको टिकिट देने की सुगबुगाहट शुरू हुई तो जिला कांग्रेस ने उनके नाम का विरोध करना शुरू कर दिया.  यहां तक कि शहर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा ने पार्टी के नेताओं को चिट्ठी लिखकर धमकी भरे लहजे में कहा कि जो व्यक्ति पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होता है , अगर उसे प्रत्याशी बनाया गया तो वे इस्तीफा दे देंगे.  डॉ शर्मा खुद भी टिकिट के दावेदार थे.  लेकिन ज्यादातर नेता यहां से पूर्व सांसद रामसेवक सिंह गुर्जर बाबूजी को टिकट देने के पक्ष में थे. लेकिन नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और राष्ट्रीय महासचिव और संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल पाठक की पैरवी कर रहे थे.  नतीजतन उन्हें ही टिकिट मिला.  अंचल में 4 लोकसभा सीट में से एक दलित भिंड, एक पिछड़ा गुना,एक ठाकुर मुरैना और एक ब्राह्मण चेहरा ग्वालियर में दिया है. 

शहर जिला अध्यक्ष डॉ शर्मा ने साफ कहा कि वे अपनी बात पर अडिग हैं. चुनाव के बाद इस्तीफा दे देंगे. इसके बाद डॉ शर्मा दतिया चले गए. शर्मा बीते छह साल से जिला कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. 


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मुरैना में भी विद्रोही तेवर 

मुरैना में कांग्रेस ने भाजपा से विधायक रहे सत्यपाल सिंह सिकरवार को टिकट दिया है. उनके भाई डॉ सतीश सिकरवार ग्वालियर में कांग्रेस से विधायक और भाभी डॉ शोभा सिकरवार नगर निगम ग्वालियर में मेयर हैं.  मुरैना के कांग्रेस नेताओं को संदेश भेजकर साफ कर दिया था कि कांग्रेस के किसी पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ता को टिकिट नहीं दिया तो वे काम नहीं करेंगे. नीटू के नाम की घोषणा के बाद मप्र कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और वरिष्ठ विधायक राम निवास रावत ने विद्रोही तेवर अपना लिए. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी से साफ कह दिया कि वे मुरैना संसदीय क्षेत्र में काम नहीं कर पाएंगे. उन्हें प्रभारी पद से मुक्त कर दें. रावत को इन चुनावों के लिए मुरैना सीट से प्रभारी बनाया गया है. वे स्वयं इसी क्षेत्र की विजयपुर विधानसभा सीट से अनेक बार एमएलए चुने गए है और वर्तमान में भी विधायक हैं. 

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