Satna Lok Sabha Seat: चुनावी मौसम (Election Season) में यूं तो शोर गुल और हर किसी में उत्साह देखने को मिलता ही है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav) के दौरान मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना शहर (Satna) में रहस्यमयी सन्नाटा पसरा हुआ है. सतना लोकसभा क्षेत्र (Satna Lok Sabha Constituency) में चुनावी कार्यालयों की चहल-पहल के अलावा चौराहों पर कोई खास हलचल नहीं दिख रही है. आमतौर पर जो रास्ते पुराने समय में प्रचार के झंडे-पोस्टर और बैनर से भरे रहते थे, वे फिलहाल वीरान दिखाई पड़ रहे हैं. जनता में चल रही खामोशी को लेकर राजनीतिक दलों का अलग-अलग आकलन है. वहीं आमजन इस सन्नाटे के पीछे का कारण प्रत्याशियों के रिपीट चेहरों को बता रहे हैं.
पार्टियों ने किया यह दावा
सतना लोकसभा सीट के लिए मतदान पहले चरण में 26 अप्रैल को होगा. मतदान के लिए अब 16 दिन का समय बचा है. इसके बाद भी सड़कों पर सन्नाटा छाया हुआ है. इस बात को राजनीतिक दल भी महसूस कर रहे हैं. सत्ता पक्ष के लोगों का मानना है कि जनता पूरी तरह से भाजपा को मजबूत बनाने का मन बना चुकी है, ऐसे में वह चौराहे की चर्चा पर अपना वक्त नहीं जाया करना चाहती है. जबकि विपक्षी दल कांग्रेस इसे भाजपा का खौफ मान रही है. इस मामले में बीएसपी नेताओं की राय है कि दोनों दलों से जनता ऊब चुकी है. ऐसे में यह भीड़ केवल बीएसपी के कार्यक्रमों में ही दिखाई दे रही है.
गलियों में भी है खामोशी
आमतौर पर कानफोड़ू प्रचार, मतदान से 48 घंटे पहले ही थमता है, लेकिन यहां प्रचार अभियान के शुरूआती चरण से ही खामोशी छाई हुई है. शहर से लेकर गांव तक की गलियों में स्थिति एक जैसी है. यहां एक-दो प्रचार वाहन ही नजर आते हैं.
बार-बार उम्मीदवार बनाने से जनता नाराज
वरिष्ठ समाजसेवी अशोक शुक्ला ने एनडीटीवी से चर्चा करते हुए कहा कि जनता के उत्साह में कमी के कई कारण हैं. उनमें से एक कारण यह भी है कि बार-बार एक ही नेता को मौका दिया जा रहा है. भाजपा पिछले पांच बार से गणेश सिंह को ही अपना प्रत्याशी बना रही है. उन्हें विधानसभा में भी मैदान में उतारा गया था. इसी प्रकार से सिद्धार्थ कुशवाहा महापौर, विधायक और अब सांसद के प्रत्याशी बनाए गए. नारायण त्रिपाठी भी विधानसभा के बाद अब लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
यह भी पढ़ें - NDTV Impact: बुक स्टोर्स पर छापेमारी, हजारों किताबें फर्जी, प्रशासन का सराहनीय काम, पैरेंट्स चुकाएंगे सही दाम
यह भी पढ़ें - चुनावों में शिवराज सिंह चौहान से दूरी बना रहा है BJP आलाकमान! कांग्रेस के दावे में कितना दम?