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Land Dispute: करोड़ों की जमीन बचाने के लिए सामने आए शहर के बुजुर्ग, अधिकारियों पर लगाया ये आरोप

Ashoknagar News: अशोकनगर जिले में करोड़ों की जमीन बचाने के लिए नगर विकास समिति के बुजुर्ग सामने आए हैं. इन्होंने अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. लेकिन दूसरी तरफ, शहर में नवीन अस्पताल बिल्डिंग बनाने की मांग उठ रही है. आइए आपको पूरे मामले की जानकारी देते हैं.

Land Dispute: करोड़ों की जमीन बचाने के लिए सामने आए शहर के बुजुर्ग, अधिकारियों पर लगाया ये आरोप
बेकार हो रही करोड़ों की जमीन

MP News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के अशोकनगर (Ashoknagar) शहर के बीच स्थित करोड़ों की जमीन को बचाने के लिए शहर के बुजुर्ग और युवा नगर विकास समिति बनाकर आंदोलन (Land Dispute Campaign) कर रहे हैं. नगर के बीच 4.150 हैक्टेयर जमीन को 11 अप्रैल 1929 को मुरलीधर पुत्र लक्ष्मीधर बासुदेव को ग्वालियर स्टेट के समय कानून हुसूल आराजी के अंतर्गत कपास (Cotton) की फैक्ट्री लगाने के लिए दी गई थी. लेकिन, इस शहर की बेशकीमती जमीन पर कभी फैक्ट्री तो नहीं लगी, कागजों में कृषि पट्टा बनवाने के बाद इसकी बिक्री शुरू हो गई और 2002 में तत्कालीन गुना कलेक्टर नीलम शमी राव ने इस जमीन को सरकारी घोषित कर दिया और उसके बाद अन्य जगह से होता हुआ मामला 2009 में हाईकोर्ट ग्वालियर पहुंचा.

करोड़ों की जमीन से परेशान होकर एक साथ आए शहर के बुजुर्ग

करोड़ों की जमीन से परेशान होकर एक साथ आए शहर के बुजुर्ग

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, 11 अप्रैल 1929 को मंदसौर निवासी मुरलीधर, पुत्र लक्ष्मीधर बासुदेव ग्वालियर स्टेट के समय कानून हुसूल आराजी के अंतर्गत कपास की फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन दी गई थी. लेकिन जो जमीन इस सेठ को दी गई, उसकी कोई संतान भी नहीं थी. इसलिए इसने अपने बहन के बच्चे शान्तनु को गोद ले लिया था. इसने 1947 में पक्का कृषक का पट्टा बनवा लिया. जिसके बाद बड़े होने पर गुना के अमरीक सिंह सालूजा से इस जमीन का सौदा हो गया और फिर इस जमीन को बेचना शुरू कर दिया. जिसके बाद अशोकनगर शहर के कुछ लोगों ने कलेक्टर गुना के न्यायालय में आवेदन देते हुए इस पूरे मामले में जमीन को बचाने के लिए थर्ड पार्टी बनने आवेदन पेश किया. लेकिन तत्कालीन गुना कलेक्टर ने इन जागरूक लोगों की मांग को खारिज कर दिया.

कई साल से चल रही लड़ाई

अशोकनगर शहर में इस जमीन को बचाने के लिए वर्षों से लड़ाई लड़ रही नगर विकास समिति सामने आई है. पूरे मामले में अधिकारियों की लापरवाही बताते हुए एसडीएम अशोकनगर को ज्ञापन देकर हाईकोर्ट ग्वालियर की डबल बेंच में इस जमीन से जुड़े हुए दस्तावेज के साथ अपील करने की मांग की है. गौर करने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले में जो जमीन से जुड़े हुए दस्तावेज है, वे सरकार के पास नहीं हैं. जिसके बाद नगर विकास समिति के लोगों ने सभी रिकॉर्ड एसडीएम अशोकनगर को दिया है.

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जमीन पर अस्पताल बनाने की मांग

इस विवादित जमीन पर नगर विकास समिति अशोकनगर में स्वीकृत 300 बिस्तर के हॉस्पिटल को बनाने की मांग कर रही है. क्योंकि अभी हॉस्पिटल को 6 किलोमीटर दूर बनाने की तैयारी की जा रही है, जिसका विरोध जनता कर रही है. विकास समिति के लोगों का कहना है कि पर्याप्त जमीन होने के कारण यहां भविष्य में मेडिकल कॉलेज का निर्माण भी कराया जा सकता है.

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