
भारत ने चंद्रयान-3 को रवाना करने के साथ ही इतिहास रच दिया है. पूरे देश को इस पर गर्व है और मध्यप्रदेश को अपने लाल ओम पांडे पर भी गर्व है. सतना के रहने वाले ओम पांडे चंद्रयान प्रोजेक्ट से जुड़े हुए हैं. वे वहां प्रोजेक्ट इंजीनियर हैं. सतना जिले के छोटे से गांव से निकल कर ओम पांडे ने इसरो जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में न सिर्फ नौकरी की बल्कि अपनी काबिलियत का लोहा भी मनवाया.
कानपुर यूनिवर्सिटी से किया बीटेक
ओम पांडे जिले सतना जिले के छोटे से गांव करसरा के रहने वाले हैं. वे बचपन से ही बड़े होनहार थे, इनके पिता शिक्षक थे जो अब रिटायर हो चुके हैं. इनका परिवार काफी छोटा है, इनका एक भाई है जो कृषि का काम करता है. इन्होंने करसरा गांव के कल्याण टोला से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की. इसके बाद इटोरा प्राइवेट स्कूल से माध्यमिक स्तर की पढ़ाई की और इसके बाद वेंकट क्रमांक एक कॉलेज से बारहवीं की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद इन्होंने इंदौर के डीएवी कॉलेज से बीटेक किया और कानपुर यूनिवर्सिटी एमटेक की पढ़ाई की.

अपने माता पिता के साथ ओम पांडे (फाइल फोटो)
इसरो में जाने की तमन्ना थी बचपन
इसके बाद वे उज्जैन के एक कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ज्वाइन किया. इसके बाद इन्होंने कुछ दिनों तक पीसीएस की तैयारी भी की लेकिन बीमार होने की वजह से सफलता नहीं मिली. ओम के परिवार वाले बताते हैं कि बचपन से ही इनकी तमन्ना इसरो में जाने की थी, अपनी इस तमन्ना को पूरा करने के लिए ओम ने बिजली विभाग और रेलवे की नौकरी के अवसर को भी ठुकरा दिया.
2018 में हुआ पूरा सपना
आखिरकार 2018 में ओम का सपना पूरा हो गया. उन्हें इसरो में जाने का मौका मिल गया. जहां नौकरी के दौरान उन्हें मिशन चंद्रयान 3 की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली. प्रोजेक्ट इंजीनियर के तौर पर ओम ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा से सभी का विश्वास जीता.