Khandwa Farmers: खंडवा कृषि उपज मंडी में एक बार फिर किसानों ने हंगामा कर दिया. मंडी में मक्का की उपज के सही दाम नहीं मिलने से किसान इतने नाराज हुए कि उन्होंने पहले मंडी परिसर में हंगामा किया उसके बाद खंडवा इंदौर रोड पर चक्का जाम कर दिया. चक्का जाम के बाद दोनों ही तरफ बड़ी वाहनों की बड़ी कतार लग गई.
खंडवा कृषि उपज मंडी में किसानों का हंगामा
पुलिस और प्रशासन के समझाइए के बाद भी किसान चक्काजाम खोलने को तैयार नहीं हुए. यहां तक की कई बार तो एंबुलेंस को भी रोका गया. हालांकि पुलिस की समझाइश के बाद किसानों ने एंबुलेंस को जाने दिया.

एम्बुलेंस भी जाम में फंसी रही.
किसानों का आरोप
किसानों का कहना है कि मौसम खुलने के बाद जब वह अपनी मक्का की फसल लेकर मंडी में पहुंचे हैं तो मंडी में उन्हें मक्का की फसल के 800-900 रुपये दाम ही मिल रहे हैं. जबकि उन्हें एमएसपी पर खरीदी की उम्मीद थी.
क्यों नाराज हैं किसान?
इधर, मंडी प्रशासन का कहना है कि गीली मक्का और सुखी मक्का के दामों में अंतर होने के कारण किसान नाराज है. बारिश होने के चलते ना तो किसानों के पास मक्का रखने की जगह है ना ही व्यापारियों के पास. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इस समस्या का हाल कब तक निकलेगा या किसानों को इसी तरह बार-बार चक्का जाम करना पड़ेगा.

किसानों ने पहले खंडवा कृषि उपज मंडी में जमकर बवाल काटा. उसके बाद सभी किसान अपने ट्रैक्टर लेकर खंडवा इंदौर मार्ग पर पहुंच गए और उसे जाम कर दिया.
किसानों की मांग है कि उनकी मक्का की फसल एमएसपी पर खरीदी जाए. अगर एमएसपी पर नहीं खरीदी की जाती है तो उन्हें कम से कम उसका इतना दाम मिले. ताकि उनकी लागत निकाल पाए. लेकिन खंडवा मंडी में उनको 800 से 900 रुपये प्रति कुंतल ही मक्का के दाम मिल रहे हैं.

चक्का जाम के बाद देखते ही देखते दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतरे लग गई. पुलिस प्रशासन नाराज किसानों को समझाइए देता रहा, लेकिन वो नहीं माने। हद तो तब हो गई जब गुस्साए किसानों ने एंबुलेंस को भी रास्ता देने से मना कर दिया. काफी देर गहमा गहमी होने के बाद आखिरकार पुलिस में किसी तरह एम्बुलेंस को निकालने के लिए रास्ता बनवाया और एंबुलेंस को निकाला गया.

हाईवे होने के चलते यात्री वाहन भी इस चक्का जाम में फंस गए.दोनों ही तरफ लंबी कतारे लगे होने से यात्रियों को अपने गंतव्य की ओर जाने में बड़ी कठिनाई उठानी पड़ी. उन्हें जम के बीच से पैदल निकलना पड़ा. पास ही स्कूल होने से स्कूल की छुट्टी होने के बाद बच्चे भी इस जाम में फंसे नजर आए. उन्हें भी पैदल अपने माता-पिता के साथ जाते हुए देखा गया. किसान इतने नाराज थे कि वह जिला प्रशासन के अधिकारियों से बात तक नहीं कर रहे थे. उनका कहना था कि जिला कलेक्टर जब तक मौके पर नहीं आएंगे.
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