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Karwa Chauth: मध्य प्रदेश में है चौथ माता का अनोखा मंदिर, साल में सिर्फ एक दिन खुलते हैं कपाट

उज्जैन के जीवनखेड़ी गांव में स्थित चौथ माता का मंदिर एक अनोखी परंपरा का प्रतीक है, जो साल में केवल करवा चौथ के दिन ही खुलता है। इस दिन हजारों सुहागिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए पूजा-अर्चना करती हैं। मंदिर में माता के तीन रूपों के दर्शन होते हैं और विशेष प्रसाद वितरित किया जाता है, जिससे दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

Karwa Chauth: मध्य प्रदेश में है चौथ माता का अनोखा मंदिर, साल में सिर्फ एक दिन खुलते हैं कपाट

करवा चौथ के मौके पर जहां देशभर की महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, वहीं मध्य प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जो इस दिन और भी खास बन जाता है। उज्जैन में स्थित चौथ माता का मंदिर पूरे साल बंद रहता है और इसके कपाट सिर्फ एक दिन करवा चौथ पर ही खोले जाते हैं। इस दिन यहां हजारों सुहागन महिलाएं अपने पति की सलामती की कामना करने आती हैं।

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन, धार्मिक आस्था और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां नागचंद्रेश्वर मंदिर (साल में सिर्फ नाग पंचमी के मौके पर खुलने वाला मंदिर) की तरह ही चौथ माता मंदिर भी अपनी अनोखी परंपरा के कारण चर्चा में रहता है। यह मंदिर क्षिप्रा नदी किनारे, उन्हेल बायपास के पास जीवनखेड़ी गांव में स्थित है। हर साल करवा चौथ पर यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं।

साल में सिर्फ एक दिन खुलता है मंदिर

मंदिर के व्यवस्थापक डॉ. कैलाश नागवंशी बताते हैं कि यह प्रदेश का इकलौता मंदिर है जो साल में केवल करवा चौथ के दिन ही खोला जाता है। इस दिन सिर्फ सुहागिन महिलाएं माता के दर्शन करती हैं और पूजा-अर्चना में भाग लेती हैं। माता की पूजा के बाद भक्तों को चुनरी, कामाख्या माता का कुमकुम और अभिमंत्रित रुद्राक्ष प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं। माना जाता है कि इससे दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

364 दिन विश्राम करती हैं माता

डॉ. नागवंशी के अनुसार, वर्ष 2000 में मां लक्ष्मीदेवी की स्मृति में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। मंदिर में देवी पार्वती और उनकी बहुएं ऋद्धि-सिद्धि, भाई-बहन लाभ-शुभ और संतोषी माता भी विराजमान हैं। ग्रामीणों का मानना है कि माता पूरे 364 दिन विश्राम करती हैं, इसलिए मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। सिर्फ करवा चौथ के दिन ही माता के दर्शन होते हैं। ऐसी ही मान्यता राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा कस्बे में स्थित सिद्धपीठ चौथ माता मंदिर से भी जुड़ी है।

करवा चौथ पर माता के तीन रूपों के दर्शन

नागवंशी बताते हैं कि करवा चौथ के दिन माता भक्तों को तीन अलग-अलग रूपों में दर्शन देती हैं। सुबह बाल रूप, दोपहर में किशोरी रूप और शाम को एक विशेष रूप में। पिछले वर्ष लगभग 15 हजार श्रद्धालु यहां पहुंचे थे, जबकि इस बार 20 हजार से अधिक लोगों के आने की संभावना है। इस मौके पर मंदिर में कामाख्या का सिंदूर, नेपाल का रुद्राक्ष और विशेष सिक्के प्रसाद के रूप में तैयार किए जाते हैं। भक्तों का विश्वास है कि इन वस्तुओं को घर में रखने से धन, सौभाग्य और खुशहाली बढ़ती है।

आस्था और परंपरा का संगम

चौथ माता का यह मंदिर न सिर्फ आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति की अनोखी परंपरा को भी दर्शाता है। साल भर शांत रहने वाला यह मंदिर करवा चौथ के दिन भक्तों की भीड़ और भक्ति भाव से गूंज उठता है।

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