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10 करोड़ की मानहानि मामला, Shivraj Singh सहित अन्य नेताओं के खिलाफ याचिका पर फैसला सुरक्षित

MP News: शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह ने वरिष्ठ अधिवक्ता पर आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर ओबीसी आरक्षण के खिलाफ याचिकाएं दायर की, ताकि चुनावों में देरी हो और इससे ओबीसी वर्ग के लोगों के हितों को नुकसान पहुंचे.

10 करोड़ की मानहानि मामला, Shivraj Singh सहित अन्य नेताओं के खिलाफ याचिका पर फैसला सुरक्षित

MP Hight Court: राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा द्वारा दायर किए गए 10 करोड़ रुपये की आपराधिक मानहानि के मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, और गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया है. यह फैसला जबलपुर हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी ने करीब दो घंटे की लंबी बहस के बाद सुरक्षित रखा.

दो घंटे की लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित

इस मामले में तन्खा ने इन नेताओं पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनके खिलाफ गलत और अपमानजनक टिप्पणियां की थीं, जो एक अधिवक्ता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली थी. तन्खा का कहना है कि यह मानहानि का मामला उन्होंने एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक अधिवक्ता के रूप में दायर किया है और उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि इस मामले में नजीर पेश की जाए.

शिवराज सिंह चौहान का आरोप न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है 

तन्खा के पक्ष को मजबूत करने के लिए दिल्ली से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए. सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि किसी भी अधिवक्ता के ऊपर कोर्ट के बाहर व्यक्तिगत हमले करना या उन पर लांछन लगाना न केवल गलत है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन भी है.

सुनवाई के बाद तन्खा ने कहा, 'मैं आज की सुनवाई से काफी संतुष्ट हूं.  मुझे उम्मीद है कि अदालत इस मामले में एक मजबूत नजीर पेश करेगी, ताकि भविष्य में कोई नेता इस तरह की बयानबाजी न कर सके.'

अब सभी की नजरें हाई कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं जो जल्द ही इस विवादास्पद मानहानि के मामले में फैसला सुनाने वाला है.

जानें क्या है पूरा मामला?

दरअसल, मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान ओबीसी आरक्षण पर विवाद खड़ा हुआ, तो इस मामले में विवेक तन्खा ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर याचिकाएं दायर की थी. तन्खा ने इन याचिकाओं में कहा कि ओबीसी आरक्षण लागू करने से पहले आंकड़ों का सही आकलन और अध्ययन किया जाना चाहिए, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों में स्पष्ट किया गया था. तन्खा के इस कदम को राज्य सरकार और बीजेपी के नेताओं ने चुनावों में देरी कराने के प्रयास के रूप में देखा और इसका राजनीतिकरण किया.

शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह ने विवेक तन्खा पर आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर ओबीसी आरक्षण के खिलाफ याचिकाएं दायर की ताकि चुनावों में देरी हो और इससे ओबीसी वर्ग के लोगों के हितों को नुकसान पहुंचे. उन्होंने तन्खा पर यह आरोप लगाया कि वो कांग्रेस के समर्थन से ओबीसी आरक्षण को रोकने की कोशिश कर रहे हैं.

नेताओं के आरोपों को बताया झूठा और अपमानजनक

विवेक तन्खा ने इन आरोपों को झूठा और अपमानजनक बताया. उनका कहना था कि उन्होंने ओबीसी आरक्षण के खिलाफ कोई भी कदम नहीं उठाया है, बल्कि सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, ओबीसी के सही डेटा के आधार पर आरक्षण देने की मांग की थी. उन्होंने यह भी कहा कि नेताओं ने जो आरोप उन पर लगाए हैं वो गलत और बिना आधार के थे, जिससे उनकी पेशेवर प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची.

10 करोड़ की आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर

इन्हीं आरोपों के आधार पर तन्खा ने शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा, और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ रुपये की आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया. उनका कहना है कि इन नेताओं ने उन पर गलत आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया, खासकर एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में.

इस पूरे विवाद की जड़ ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर खड़ी हुई है, जिसमें विवेक तन्खा की कानूनी याचिकाओं को राजनीतिक रूप से इस्तेमाल करते हुए उन पर आरोप लगाए गए, जिसके खिलाफ उन्होंने मानहानि का मुकदमा दायर किया.

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