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JNKVV Jabalpur: किसानों को मिल रहा है बीज पर पेटेंट, नई किस्मों पर रिसर्च जारी

Jawaharlal Nehru Agricultural University Jabalpur: जबलपुर का जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय न केवल फसलों की नई किस्मों पर शोध कर रहा है बल्कि किसानों को भी पहचान दे रहा है. JNKVV Jabalpur देश का पहला विश्वविद्यालय है, जिसने 24 फसलों की 500 से अधिक किस्मों पर प्रजनक बीज अधिकार प्रमाण पत्र भारत सरकार से प्राप्त किए हैं.

JNKVV Jabalpur: किसानों को मिल रहा है बीज पर पेटेंट, नई किस्मों पर रिसर्च जारी

Jawaharlal Nehru Krishi Vishwavidyalaya: जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (JNKVV Jabalpur) किसानों को उनके बीजों पर पेटेंट दिलाने में मदद कर रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक और वैश्विक स्तर पर मजबूती मिलेगी. विश्वविद्यालय में आयोजित हुई किसान संगोष्ठी और व्याख्यान कार्यक्रम में भारत सरकार के पीपीव्हीएफआरए (Protection of Plant Varieties and Farmers' Rights Authority) यानी पौध किस्म और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के रजिस्ट्रार जनरल डॉ दिनेश अग्रवाल ने बताया कि कैसे किसानों के लिए बीजों पर पेटेंट महत्वपूर्ण है और इसके द्वारा उनके अधिकारों की रक्षा की जा रही है.

किसानों को ऐसे लाभ दिला रहा है लाभ

डॉ अग्रवाल ने कहा, "पौधों की नई किस्में विकसित करने के लिए निरंतर अनुसंधान और उसमें निवेश बढ़ाना आवश्यक है. किसानों को इन नई किस्मों में रुचि लेने के लिए उनके अधिकारों की रक्षा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है." उन्होंने यह भी बताया कि भारत नई पौध किस्मों को पंजीकृत करने के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है और जनेकृविवि ने अब तक 24 फसलों की 500 से अधिक किस्मों पर प्रजनक बीज अधिकार किसानों को प्रदान किए हैं.

इस अवसर पर पन्ना, जबलपुर, मंडला और डिण्डोरी के किसानों को प्रजनक बीज अधिकार प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए. पन्ना के राजेंद्र सिंह को टमाटर की नई प्रजाति 'टमाटर राजेन्द्र' पर, और परशू आदिवासी को धान की 'पसाई धान' पर बीज अधिकार प्रमाण पत्र दिए गए.

जनेकृविवि के कुलपति डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा और पीपीव्हीएफआरए के रजिस्ट्रार जनरल डॉ दिनेश अग्रवाल ने किसानों को ये प्रमाण पत्र सौंपे. इस संगोष्ठी को सफल बनाने में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों डॉ स्तुति शर्मा, डॉ अनीता बब्बर, डॉ  रामकृष्ण और डॉ आशीष गुप्ता का विशेष सहयोग रहा.

संगोष्ठी के दौरान जनेकृविवि देश का पहला विश्वविद्यालय है, जिसने 24 फसलों की 500 से अधिक किस्मों पर प्रजनक बीज अधिकार प्रमाण पत्र भारत सरकार से प्राप्त किए हैं. इस प्रयास से विश्वविद्यालय किसानों को उनके अधिकार दिलाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

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