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MP के जनसंपर्क विभाग में बिगड़े हालात; CM की नीतियों के खिलाफ हड़ताल, प्रमोशन व पदों को लेकर खींचतान

Jansampark Vibhag Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग में विरोध चरम पर है. 26 नवंबर 2025 को जारी आदेश जिसमें राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गणेश जायसवाल की विभाग में पोस्टिंग के खिलाफ प्रदेशभर के सभी जनसंपर्क अधिकारी–कर्मचारी पूर्ण कलम,काम बंदी पर चले गए हैं.

MP के जनसंपर्क विभाग में बिगड़े हालात; CM की नीतियों के खिलाफ हड़ताल, प्रमोशन व पदों को लेकर खींचतान
MP के जनसंपर्क विभाग में बिगड़े हालात; CM की नीतियों के खिलाफ हड़ताल, प्रमोशन व पदों को लेकर खींचतान

MP Jansampark Vibhag News: जनसंपर्क विभाग (Public Relation Department MP) में हालात अचानक बिगड़ते नज़र आ रहे हैं. भोपाल स्थित मुख्यालय से लेकर समस्त जिलों तक विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कलमबंद हड़ताल पर चले गए हैं. यह हड़ताल मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM) की उन नीतियों के विरोध में बताई जा रही है, जिनमें विभागीय पदों पर प्रशासनिक सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को बैठाए जाने का निर्णय शामिल है. मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग में विरोध चरम पर है. 26 नवंबर 2025 को जारी आदेश जिसमें राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गणेश जायसवाल की विभाग में पोस्टिंग  के खिलाफ प्रदेशभर के सभी जनसंपर्क अधिकारी–कर्मचारी पूर्ण कलम,काम बंदी पर चले गए हैं.

क्या है मामला?

विभागीय सूत्रों के अनुसार, जनसंपर्क विभाग की “कैडर आधारित संरचना” लगातार कमजोर की जा रही है और विभागीय पदों पर बाहरी अधिकारियों की नियुक्तियाँ बढ़ाई जा रही हैं. इसी के विरोध में आज पूरे प्रदेश में कामकाज ठप रहा प्रेस नोट, सरकारी सूचनाएँ, मीडिया समन्वय और दैनिक मुख्यालयीय कार्य प्रभावित हुए.  मुख्यालय, संभाग और जिलों की हर शाखा में फाइल मूवमेंट, प्रेस नोट, कवरेज, फोटो रिलीज सबकुछ बंद है. सबसे बड़ा एस्कलेशन यह है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों की समाचार कटिंग भी विभाग से जारी नहीं किया जाएगा .

अधिकारियों का कहना है कि कमिश्नर के इस निर्णय ने विभागीय कार्य प्रवाह, अधिकार व्यवस्था और प्रशासनिक संतुलन को प्रभावित किया है, इसलिए आदेश का तत्काल निरस्तीकरण जरूरी है. ध्यान देने योग्य तथ्य यह भी है कि इससे पहले 2020 में भी विभाग में हड़ताल हो चुकी है, और मौजूदा हालात उसी स्तर का संकट दोबारा खड़ा कर रहे हैं.

अधिकारी–कर्मचारी इस मुद्दे पर पूरी तरह एकजुट हैं और चेतावनी दे चुके हैं कि यदि सरकार ने शीघ्र निर्णय नहीं लिया, तो इसका सीधा असर मुख्यमंत्री की पब्लिक इमेज मैनेजमेंट पर पड़ेगा.

विभाग का समाचार ठप होना यानी मुख्यमंत्री की छवि गढ़ने वाला मुख्य तंत्र लगभग बंद होने जैसा है, जिससे सरकार की मीडिया स्ट्रैटेजी और कम्युनिकेशन आउटपुट पर भारी दबाव बन गया है. कमिश्नर, अतिरिक्त मुख्य सचिव जनसंपर्क और मुख्यमंत्री कार्यालय को इस निर्णय पर पुनः विचार करना ही होगा और विभाग की  परेशानियों की पुनः समीक्षा करनी होगी.

अधिकारियों का कहना है कि यह विरोध केवल तत्कालीन पदस्थापना को लेकर नहीं है, बल्कि भविष्य की उस स्थिति को लेकर भी है जिसमें विभाग पूरी तरह प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के नियंत्रण में चला जाएगा. विरोध कर रहे कर्मचारियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि डायरेक्टर, जनसंपर्क का पद भी विभागीय कैडर का है और “इस बार इस पद पर किसी बाहरी अधिकारी की नियुक्ति स्वीकार नहीं की जाएगी.”

हालात को देखते हुए विभागीय माहौल तनावपूर्ण है और कई जिलों में कामकाज पूरी तरह ठप पड़ा रहा. कर्मचारियों का कहना है कि यदि पदस्थापना और विभागीय संरचना को लेकर पुनर्विचार नहीं हुआ, तो आंदोलन और आगे बढ़ सकता है. सरकार की ओर से इस विवाद पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. सभी की नज़रें अब अगले प्रशासनिक कदम पर टिकी हैं.

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