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This Article is From May 01, 2024

भीषण गर्मी में'जल जीवन मिशन योजना' को मध्यप्रदेश में लगा ब्रेक, बूंद-बूंद के लिए हो रहा संघर्ष

केन्द्र सरकार ने बड़े तामझाम से जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) जैसा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू किया था लेकिन लगता है मध्यप्रदेश में इस योजना को ब्रेक लग गया है. लिहाजा भीषण गर्मी में सूबे के कई गांवों और कस्बे में लोगों ने न सिर्फ पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है बल्कि शुद्ध पानी भी नसीब नहीं हो रहा है. दरअसल इस योजना के कई ठेकेदारों को पेमेंट नहीं मिला है जिसकी वजह से महीनों से काम बंद पड़ा है.

भीषण गर्मी में'जल जीवन मिशन योजना' को मध्यप्रदेश में लगा ब्रेक, बूंद-बूंद के लिए हो रहा संघर्ष

Madhya Pradesh News: केन्द्र सरकार ने बड़े तामझाम से जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) जैसा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू किया था लेकिन लगता है मध्यप्रदेश में इस योजना को ब्रेक लग गया है. लिहाजा भीषण गर्मी में सूबे के कई गांवों और कस्बे में लोगों ने न सिर्फ पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है बल्कि शुद्ध पानी भी नसीब नहीं हो रहा है. दरअसल इस योजना के कई ठेकेदारों को पेमेंट नहीं मिला है जिसकी वजह से महीनों से काम बंद पड़ा है. अपने भुगतान के लिए ठेकेदार दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. भुगतान नहीं होने से ठेकेदार नयी जगहों पर काम करने को तैयार नहीं है,बाकी काम आधे अधूरे रह गए. गर्मी के मौसम में आस-पास के ढोढी,छोटे नाले सूख चुके है,कहीं-कहीं नल तो लग गए हैं पर उसमें पानी नहीं है. जबकि प्रदेश सरकार के मंत्री प्रह्लाद पटेल (Prahlad Patel) का कहना है कि चुनाव के बावजूद योजना कहीं नहीं रुकी है. आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं पूरे प्रदेश में स्थिति क्या है? 

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NDTV टीम ने डिंडोरी-बड़वानी में हालात का जायजा लिया तो ऐसे ही चौंकाने वाली बात सामने आई. इन जिलों के ग्रामीण अंचलों में लोग पानी के लिए कई किलोमीटर दूर पैदल चलकर जाते हैं. इसमें खासकर महिलाओं को भारी परेशानी होती है. यहां गावों में हैंडपंप तो है लेकिन पानी नहीं है. घरों में नल का कनेक्शन होना तो दूर की बात है. आलम ये है कि डिंडोरी में तो पानी न मिलने के कारण ग्रामीणों ने चक्का जाम कर दिया. उनका कहना है कि विभागों और मंत्रियों तक से उन्होंने शिकायत की लेकिन किसी ने सुध नहीं ली.  एक ग्रामीण झिनला के मुताबिक हमें आजादी के 75 साल बाद भी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिली हैं. यहां दो-तीन गावों में न रोड है न पानी. नेता आते हैं और वादा करके वोट ले जाते हैं, बाद में कुछ भी नहीं होता. 

गांव में पानी नहीं होने पर ग्रामीणों ने चक्का जाम किया.

गांव में पानी नहीं होने पर ग्रामीणों ने चक्का जाम किया.

प्रदेश जल जीवन मिशन के ठेकेदारों का भी बुरा हाल है. कई ठेकेदार भुगतान के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं  लेकिन पैसे नहीं मिल रहे. इस वजह से एक तो काम अधूरे छूट रहे हैं और दूसरा कोई नया काम भी नहीं ले रहा है. एक ठेकेदार दीपक देशमुख के मुताबिक मैंने एक गांव का ठेका लिया था, काम भी किया लेकिन अब तक केवल 40 फीसदी का ही भुगतान हुआ है. अब हम इंजीनियर के पीछे घूम रहे है , कोई एग्रीमेंट नहीं किया ,यही हालत है हर गाँव में. मैंने मार्केट से ब्याज पर पैसा उठाया था लेकिन परेशानी हो रही है. 

दूसरी तरफ मोहन यादव सरकार में मंत्री प्रह्लाद पटेल का कहना है कि पैसे की समस्या को सुलझाया जा रहा है. लोगों ने तक साफ पानी पहुंचाना हमारी प्राथमिकता है. उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव की वजह से भी कहीं काम नहीं रुका है. मंत्रीजी  ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग ने भी काम नहीं रोका है. उन्होंने कहा कि पिछली बार भी हमने परमिशन ली थी. दूसरी तरफ पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता मुकेश नायक का कहना है कि केन्द्र का हजारों करोड़ रुपये इस मद में फंसा हुआ है.  जब किसी योजना में देरी होती है तो उससे सरकार पर आर्थिक दबाव बढ़ता है. यदि ठेकेदार को भुगतान नहीं हुआ तो कोई भी काम कैसे करेगा? जाहिर है सरकार और विपक्ष के अपने-अपने दावे हैं लेकिन सच्चाई ये है कि जनता परेशान है. 

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