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5 विषयों में फेल होने के बाद बच्चे ने लिया खतरनाक फैसला, जबलपुर-मुंबई पुलिस भी दंग

Jabalpur Boy: जबलपुर के एक नाबालिग ने परीक्षा में फेल होने के डर से खुद का अपहरण होने की झूठी कहानी बनाई। वह मुंबई पहुंच गया, लेकिन पुलिस की मदद से सुरक्षित बरामद कर परिजनों को सौंप दिया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि माता-पिता को बच्चों के मन से परीक्षा और असफलता का डर हटाने के लिए सही मार्गदर्शन देना चाहिए।

5 विषयों में फेल होने के बाद बच्चे ने लिया खतरनाक फैसला, जबलपुर-मुंबई पुलिस भी दंग

Jabalpur Boy News: मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के रांझी पुलिस थाना क्षेत्र में रहने वाले एक नाबालिग लड़के के साथ ऐसा मामला सामने आया जिसने सबको हैरान कर दिया. लड़के के मन में पढ़ाई में फेल होने का डर इतना गहरा बैठ गया कि उसने अपने ही अपहरण की झूठी कहानी बना डाली. मामला तब उजागर हुआ जब लड़का अचानक घर से गायब हो गया और परिजनों ने पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई.

पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तलाश शुरू की. जांच के दौरान लड़के का सुराग मुंबई में मिला. प्रारंभिक पूछताछ में उसने दावा किया कि कुछ अज्ञात लोग उसे अपहरण कर नशीली दवाइयां सुंघाकर बेहोश कर गए, और जब होश आया तो वह खुद को मुंबई रेलवे स्टेशन पर पाया.

हालांकि, गहन पूछताछ और जांच पड़ताल के बाद असली कहानी सामने आई. नाबालिग ने कबूल किया कि वह हाल ही में परीक्षा में पांच विषयों में फेल हो गया था. पिताजी की डांट और भय के कारण वह घर छोड़कर भाग गया और सीधे मुंबई पहुंच गया. डर और शर्म से बचने के लिए उसने अपहरण की झूठी कहानी गढ़ी.

मुंबई पुलिस की मदद से लड़के को सुरक्षित बरामद कर जबलपुर लाया गया और परिजनों को सौंप दिया गया. यह घटना सिर्फ एक नाबालिग की परेशानियों की कहानी नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि बच्चों के मन में परीक्षा और पढ़ाई के डर को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में पढ़ाई का डर और असफलता का तनाव कम करने के लिए घर और स्कूल दोनों स्तरों पर समझदारी से कदम उठाना जरूरी है. माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों से खुलकर बातचीत करें, उन्हें असफलता का डर न दें और उन्हें यह समझाएं कि गलती करना सीखने का हिस्सा है. साथ ही बच्चों को नियमित समय पर पढ़ाई, आराम और मनोरंजन का संतुलन बनाकर उनके मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए.

इस घटना से एक संदेश भी मिलता है कि किसी भी बच्चे की परेशानियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. समय पर सही मार्गदर्शन और सकारात्मक सहयोग से बच्चों के मन से डर, चिंता और असफलता का तनाव हटाया जा सकता है. 

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