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International Tiger Day Special: भारत में हैं दुनिया के 75 फीसदी बाघ, MP में 526 से बढ़कर 785 हुई बाघों की संख्या 

Tiger State Madhya Pradesh: देश में सर्वाधिक बाघ मध्य प्रदेश में मौजूद हैं, जहां पिछले चार-पांच सालों में यहां 259 बाघ बढ़े हैं. प्रदेश के बाघ प्रदेश बनने में गांवों का वैज्ञानिक विस्थापन, ट्रांसलोकेशन है और हैबिटेट विकास को श्रेय दिया जाता है, जिससे प्रदेश में बाघों की आबादी तेजी से बढ़ी है.

International Tiger Day Special: भारत में हैं दुनिया के 75 फीसदी बाघ, MP में 526 से बढ़कर 785 हुई बाघों की संख्या 
फाइल फोटो

International Tiger Day: पृथ्वी का सबसे सुंदर प्राणियों में बाघ का नाम सबसे ऊपर है और बाघों का मध्य प्रदेश में डेरा है. वर्तमान में भारत में बाघों की 3682 संख्या है, जो दुनिया में बाघों की कुल संख्या का 75 फीसदी हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के लिए खुशी की बात है, जहां टाइगर रिजर्व के बाहर भी बाघों की संख्या बढ़ रही है. 

देश में सर्वाधिक बाघ मध्य प्रदेश में मौजूद हैं, जहां पिछले चार-पांच सालों में यहां 259 बाघ बढ़े हैं. प्रदेश के बाघ प्रदेश बनने में गांवों का वैज्ञानिक विस्थापन, ट्रांसलोकेशन है और हैबिटेट विकास को श्रेय दिया जाता है, जिससे प्रदेश में बाघों की आबादी तेजी से बढ़ी है.

मध्य प्रदेश में है सर्वाधिक बाघ आबादी

मध्य प्रदेश में बाघों की आबादी 526 से बढ़कर 785 पहुंच गई है, यह देश में सर्वाधिक है. प्रदेश में पिछले चार-पांच सालों में 259 बाघ बढ़े हैं. माना जाता है कि मध्य प्रदेश के बाघ प्रदेश बनने का पहला कारण यहां गांवों का वैज्ञानिक विस्थापन है. वर्ष 2010 से 2022 तक टाइगर रिजर्व में बसे छोटे-छोटे 200 गांव को विस्थापित किया गया. दूसरा कारण, ट्रांसलोकेशन है. कान्हा  के बारहसिंगा, बायसन और वाइल्ड बोर का ट्रांसलोकेशन कर दूसरे टाइगर रिजर्व में उन्हें बसाया गया, इससे बाघ के लिए भोजन आधार बढ़ा.

मध्य प्रदेश कैसे बना बाघ प्रदेश?

मध्य प्रदेश के बाघ प्रदेश बनने में तीसरी बड़ी वजह है हैबिटेट विकास. यहां जंगल के बीच में जो गांव और खेत खाली हुए, वहां घास के मैदान और तालाब विकसित किए गए, जिससे शाकाहारी  जानवरों की संख्या बढ़ी और बाघ के लिए आहार भी उपलब्ध हुआ. सुरक्षा व्यवस्था में अभूतपूर्व बदलाव हुआ.

भारत सरकार की टाइगर रिज़र्व के प्रबंधन की प्रभावशीलता मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार पेंच टाइगर रिजर्व ने देश में सर्वोच्च रैंक हासिल की है, जबकि बांधवगढ़,कान्हा,संजय और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन वाले टाइगर रिजर्व माना गया है.

तेंदुओं की संख्या के मामले में भी MP अव्वल

मध्य प्रदेश में बाघों की आबादी भारत में सबसे ज्यादा है, लेकिन यहां मध्य प्रदेश में तेंदुओं की संख्या भी सबसे अधिक है. देश  में 12 हजार 852 तेंदुए हैं, लेकिन अकेले मध्य प्रदेश में यह संख्या 4100 से ज्यादा है.देश में तेंदुओं की आबादी औसतन 60% बढ़ी है,जबकि प्रदेश में यह 80% है. देश में तेंदुओं की संख्या का 25% अकेले मध्य प्रदेश में है। 

राष्ट्रीय उद्यानों के प्रबंधन में MP टॉप पर

मध्य प्रदेश ने टाइगर राज्य का दर्जा हासिल करने के साथ ही राष्ट्रीय उद्यानों और संरक्षित क्षेत्रों के प्रभावी प्रबंधन में भी देश में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है. एमपी का सतपुडा टाइगर रिजर्व को यूनेस्को की विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल किया जा चुका है. पुराने आंकड़े के मुताबिक मध्य प्रदेश में 526 बाघों की सबसे अधिक संख्या है. इसके बाद कर्नाटक में 524 बाघों की संख्या 442 बाघों के साथ उत्तराखंड तीसरे नंबर पर था.

पन्ना टाईगर रिज़र्व में ड्रोन से सर्वेक्षण और निगरानी रखी गई. वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल कर अवैध शिकार को पूरी तरह से रोका गया. इससे मध्य प्रदेश में बाघों की आबादी बढ़ाने में मदद मिली.

 पेंच टाइगर रिजर्व ने प्रबंधन में मिला सर्वोच्च रैंक 

भारत सरकार की टाइगर रिज़र्व के प्रबंधन की प्रभावशीलता मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार पेंच टाइगर रिजर्व ने देश में सर्वोच्च रैंक हासिल की है, जबकि बांधवगढ़,कान्हा,संजय और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन वाले टाइगर रिजर्व माना गया है.

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