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This Article is From Sep 14, 2023

सतना केंद्रीय जेल के कैदियों की अनूठी पहल: गणेशोत्सव के लिए बना रहे इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा

गणेश चतुर्थी के मौके पर सतना स्थित केंद्रीय जेल के कैदियों ने इको-फ्रेंडली गणेश की प्रतिमा बनाने में जुटे हुए हैं. इन मूर्तियों को विसर्जन करने के बाद इसकी मिट्टी से पवित्र तुलसी का पौधा भी उगेगा जो घर में शुद्ध और सकारात्मक वातावरण बनाएगा.

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सतना केंद्रीय जेल के कैदियों की अनूठी पहल: गणेशोत्सव के लिए बना रहे इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा
सेंट्रल जेल के बंदियों ने पर्यावरण को बचाने और संरक्षित करने के लिए अनोखी पहल
सतना:

गणेश चतुर्थी का त्योहार नजदीक है और इसे लेकर लोगों के बीच काफी उत्साह भी देखा जा सकता है. हर जगह मूर्तियों को सजा-धजा कर तैयार किया जा रहा है. सतना शहर में भी इस उत्सव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. गणेश उत्सव के लिए केंद्रीय जेल सतना के बंदियों ने अनूठी पहल करते हुए इको फ्रैंडली गणपति की प्रतिमाओं का निर्माण किया है. सबसे खास बात ये है कि इन मूर्तियों को विसर्जन के करने के बाद इसकी मिट्टी से पवित्र तुलसी का पौधा उग जाएगा.

दरअसल, सेंट्रल जेल के बंदियों ने पर्यावरण को बचाने और संरक्षित करने के लिए मूर्ति बनाने का एक अनोखा तरीका अपनाया है, वो मिट्टी को मूर्तियों के रूप में आकार दे रहे हैं. वहीं मूर्तियों के निर्माण के दौरान इसमें तुलसी के बीज (मंजरी) डाले गये हैं. जो विसर्जिन के बाद मिट्टी से तुलसी का पौधा उगेगा.

100 से ज्यादा गणेश मूर्तियां बनाई गई

जेल के बंदियों ने बताया कि ये मूर्तियां पर्यावरण के अनुकूल है. इन मूर्तियों को विसर्जित करने के बाद पर्यावरण प्रदूषित नहीं होगा. जेल के अंदर कलाकार कैदियों ने 100 से ज्यादा गणेश मूर्तियां बनाई हैं. जेल में बन रही मूर्तियों को जेल की कैंटीन के पास लगे स्टाल से प्राप्त किया जा सकता है. इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है. प्रतिमाओं का कोई मूल्य नहीं रखा गया है इन्हें न्योछावरी के साथ सामान्यजन को दिया जायेगा.

गोबर मिट्टी से बनी प्रतिमा

जेल में कैदियों ने मिट्टी, वाटर कलर, गोबर और तुलसी की मंजरी से गणेश प्रतिमाओं का निर्माण किया है. प्रतिमा में तुलसी के बीज होने की वजह से इसके विसर्जन के बाद गमले या घर के आंगन में विसर्जित मिट्टी से तुलसी का पौधा उगेगा.

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बंदियों को दिया गया था मूर्तिकला का प्रशिक्षण

सेंट्रल जेल अधीक्षक लीना कोष्टा के मुताबिक, इन बंदियों को अन्य रोजगार मूलक प्रशिक्षणों के साथ-साथ मूर्तिकला प्रशिक्षण दिया जाता है. जिसमें बंदी त्योहारों के अवसर पर मिट्टी से भगवान श्री कृष्ण, मां दुर्गा, मां सरस्वती, देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, हाथी, मोर इत्यादि का निर्माण करते हैं. विगत वर्षों से गणेश चतुर्थी और दीपावली के अवसर पर बंदियों द्वारा निर्मित मूर्तियों को न्यौछावर राशि में श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराया जाता है. 

केमिकल फ्री हैं ये मूर्तियां 

बंदियों द्वारा मिट्टी से निर्मित सुन्दर मूर्तियां जेल स्टॉफ और शहर के गणमान्य नागरिकों को देने के लिए कैंटीन में रखा गया है और शहरवासी इन मूर्तियों को न्योछावर राशि में प्राप्त कर सकते हैं. ये मूर्तियां विशुद्ध मिट्टी से निर्मित की गई हैं और इसमें किसी भी तरह के हानिकारक तत्वों और रसायनों का प्रयोग नहीं किया गया है. ये  प्रतिमाएं जल में घुलनशील है और पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है. गणपति भगवान की ये प्रतिमाएं छोटे आकार से लेकर बड़े आकार तक उपलब्ध हैं.

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