Jan Dhan Account News: देश में बड़ी आबादी के पास अपना बैंक खाता हो, जिससे उनका वित्तीय लेन-देन आसान हो सके, इस वादे के साथ शुरू की गई प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के तहत देशभर में करोड़ों खातों में ₹2.33 लाख करोड़ से अधिक की राशि जमा है. हालांकि, इन प्रभावित करने वाले आंकड़ों के बावजूद अब हालात अलग हैं. ताजा हालत ये है कि देश में मौजूद हर पांचवा जनधन खाता निष्क्रिय है. ये जानकारी सूचना के अधिकार के तहत जुटाई जानकारी से मिली है. RTI से मिले दस्तावेज ये भी बताते हैं कि 11 करोड़ से अधिक खाते निष्क्रिय श्रेणी में आते हैं. इसके साथ ही जीरो बैलेंस वाले खातों की संख्या भी करोड़ों में पहुंच गई है.
हाल में आए आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में निष्क्रिय और जीरो बैलेंस वाले खातों की संख्या सबसे अधिक है. अकेले उत्तर प्रदेश में 9.57 करोड़ से अधिक जनधन खाते हैं, जिनमें से 2.31 करोड़ खाते निष्क्रिय हैं और 76.12 लाख खातों में बकाया राशि शून्य है. बिहार में कुल 6.11 करोड़ खातों में से 1.18 करोड़ खाते निष्क्रिय हैं और 41 लाख से अधिक खातों में जीरो बैलेंस है. वहीं, मध्य प्रदेश में योजना के तहत 4.41 करोड़ खाते हैं, जिनमें 91.53 लाख निष्क्रिय खाते और 36.91 लाख जीरो बैंलेंस वाले खाते शामिल हैं.
अहम ये है कि ज्यादातर निष्क्रिय खाते ग्रामीण इलाकों में है. इससे इन इलाकों में बचत की मुहिम सवालों के घेरे में आ जाती है. योजना का उद्देश्य भी कम आय वाले अधिक से अधिक लोगों में बचत की आदत डालना था, लेकिन शून्य शेष खातों की अधिक संख्या खाता धारकों के बीच वित्तीय जागरूकता की कमी को दर्शाता है.
रुपे कार्ड से जुड़े बीमा दावों की कम संख्या
जनधन योजना का एक विशेष पहलू रुपे कार्ड के साथ जुड़ा दुर्घटना बीमा है, परंतु दावों का निपटान दर काफी कम है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल 560 दावे दर्ज किए गए, जिनमें से 462 दावे निपटाए गए और कुल ₹6.58 करोड़ की राशि का भुगतान किया गया.2023-24 में 431 दावे दर्ज हुए, जिनमें से 364 निपटाए गए और ₹5.36 करोड़ की राशि जारी की गई. मौजूदा वित्तीय वर्ष में 4 अक्टूबर 2024 तक 49 दावे दर्ज हुए, जिनमें से 44 का निपटान हुआ और कुल ₹69 लाख का भुगतान किया गया है. वैसे इसमें कोई शक नहीं कि PMJDY ने बिना किसी सवाल ग्रामीण और असंबद्ध जनता तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच को बढ़ाया है, परंतु बड़ी संख्या में निष्क्रिय और जीरो बैलेंस खाते, विशेष रूप से ग्रामीण आबादी वाले राज्यों में, वित्तीय शिक्षा, बेहतर खाता प्रबंधन और सरल बीमा दावा प्रक्रिया की आवश्यकता को बताते हैं.
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