MP Samachar : ग्वालियर में एक मृत युवक का शव 18 घंटे तक पोस्टमार्टम हाउस में यूं ही पड़ा रहा. वजह थी, दो सरकारी अस्पतालों के बीच सीमा विवाद. कोई भी अस्पताल इस शव का पोस्टमार्टम करने को तैयार नहीं हुआ. परिजनों ने पहले तो स्वास्थ्य अधिकारियों और कलेक्टर से मदद मांगी लेकिन जब किसी ने उनकी नहीं सुनी तो उन्होंने सड़क पर चक्काजाम कर दिया. दरअसल, थाटीपुर इलाके के रहने वाले प्रताप सिंह बिसोरिया नामक एक युवक ने पेट्रोल पंप मालिक की प्रताड़ना से तंग आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. घटना के बाद मृतक का शव रात में ही मुरार जिला चिकित्सालय के पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया. लेकिन वहां 18 घंटे बाद भी पोस्टमार्टम नहीं हुआ. इससे नाराज परिजनों ने शव को पोस्टमार्टम हाउस से सड़क पर लाकर चक्काजाम कर दिया.
अधिकारियों के पहुंचने के बाद हुआ समझौता
चक्काजाम की सूचना मिलते ही ग्वालियर कलेक्टर रुचिका सिंह चौहान और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे. मुरार जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन ने परिजनों को आश्वासन दिया कि पोस्टमार्टम में देरी के लिए जिम्मेदार डॉक्टर और कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी. इसके बाद परिजनों ने चक्काजाम खत्म किया.
अस्पतालों के बीच चल रहा है सीमा विवाद
मृतक के भाई का कहना है कि प्रताप सिंह पहले थाटीपुर के एक पेट्रोल पंप पर काम करता था. वहां उसे परेशान किया गया और फिर नौकरी से निकाल दिया गया था. उस पर कर्ज का दबाव था जिससे तंग आकर उसने फांसी लगा ली. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मुरार जिला चिकित्सालय भेजा था लेकिन वहां के डॉक्टरों ने इसे दूसरे थाना क्षेत्र का मामला बताकर पोस्टमार्टम करने से मना कर दिया.
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मामले में कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
कलेक्टर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरी जांच के आदेश दिए हैं. सिविल सर्जन का कहना है कि अगर समय पर जानकारी दी जाती तो ऐसी समस्या न होती. उन्होंने बताया कि मुरार जिला चिकित्सालय में चार थाना क्षेत्रों के शवों का पोस्टमार्टम होता है. मामले में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. वहीं, घटना को लकीर पुलिस अधिकारियों ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है.
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