
Gwalior News: धीमी चाल या सुस्त गति के लिए अक्सर 'नौ दिन चले अढ़ाई कोस' कहावत का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन ग्वालियर (Gwalior) में चल रहे निर्माण कार्यों की गति के लिए यह कहावत भी कम पड़ जा रही है. ग्वालियर में सरकार ने महज एक रेलवे क्रॉसिंग को पार करने के लिए बनाए जा रहे एक रेलवे ओवर ब्रिज (Railway Over Bridge) के निर्माण में छह साल लगा दिए. यह ब्रिज विवेकानंद नीडम के पास बन रहा है. इसको बनाने का मकसद क्षेत्र को विकसित बनाना और शहरों के वाहनों को सीधे नेशनल हाइवे (National Highway) तक पहुंचाना था.
नाका चंद्रवदनी से सीधे कलेक्ट्रेट होकर झांसी रोड हाइवे से जोड़ने वाले इस मार्ग में सबसे बड़ी बाधा यह थी कि बीच में ग्वालियर-भोपाल रेलवे ट्रैक है और इस पर ट्रेनों का ट्रैफिक बहुत है क्योंकि दिल्ली से दक्षिण जाने वाली सभी ट्रेनें यहीं से गुजरती हैं. अभी तक यहां रेलवे गेट था. इस दिक्कत को खत्म करने के लिए सरकार ने रेलवे से बात करके यहां एक रेलवे ओवर ब्रिज बनाने का प्रस्ताव रखा जिसे 2017 में स्वीकार कर लिया गया. इतना ही नहीं इस पुल को बनाने के लिए 42 लाख 80 हजार रुपए का बजट भी मंजूर हुआ.

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निर्माण में रुचि नहीं ले रहे रेलवे अधिकारी
इस ओवर ब्रिज पर समारोहपूर्वक काम शुरू हो गया और इसे 2017 में पूरा होने का टारगेट दिया गया. इस प्रोजेक्ट की गति शुरू में तो ठीक रही. राज्य सरकार की ओर से अपने हिस्से का ज्यादातर काम भी पूरा कर लिया गया लेकिन रेल विभाग में अफसरों ने इसमें कोई रुचि नहीं ली. नतीजतन काम अभी तक अधूरा पड़ा हुआ है. अभी तक पटरियों के ऊपर गार्डर बिछाने का काम भी रेलवे नहीं कर सकी है. जब तक यह नहीं होगा तब तक उस पर स्डक बनाने का काम शुरू नहीं हो सकेगा. यह काम कई साल से अटका पड़ा है.

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किसानों को आगे कर बिल्डरों ने रुकवाया काम
इस बीच कुछ किसानों ने भी दिक्कत करना शुरू कर दिया है. दरअसल इसके पीछे बिल्डर हैं. कहा जा रहा है कि छह बिल्डरों ने किसानों को आगे करके कलेक्ट्रेट साइड का काम रुकवा दिया है. पहले सर्विस रोड न होने का बहाना बनाकर इसका काम रुकवाया गया लेकिन अब और आपत्तियां लगा दी गई हैं क्योंकि इससे उनकी जमीन प्रभावित हो रही है. सबसे बड़ी विडंबना की बात यह है कि कोई भी अफसर इस मामले पर सामने आकर जुबान खोलने को तैयार नहीं हैं.
लंबे समय से इस ब्रिज का काम पूरा न होने से आम लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि अब रास्ता एकदम बंद ही पड़ा है. जबकि सिटी से कलेक्ट्रेट की तरफ दर्जनों बड़ी टाउनशिप हैं जिनमें हजारों लोग रहते हैं और उनके घर आने-जाने का यही रास्ता है.