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This Article is From Jan 17, 2024

Gwalior News: लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 6 करोड़ की जमीन फिर हुई सरकारी... सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने न्यायालयों में विचाराधीन सरकारी जमीन संबंधी अन्य सभी मामलों में भी पुख्ता तथ्यों के साथ जवाब-दावा प्रस्तुत करने के निर्देश जिले के सभी अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को दिए हैं. उन्होंने साफ किया है कि यदि तथ्यों के अभाव में शासन हित प्रभावित हुआ तो संबंधित राजस्व अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.

Gwalior News: लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 6 करोड़ की जमीन फिर हुई सरकारी... सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्व विभाग के पक्ष में दिया निर्णय

Madhya Pradesh News: ग्वालियर (Gwalior) के राजस्व विभाग को एक बड़ी कामयाबी मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने यहां के नई सड़क लश्कर क्षेत्र में स्थित लगभग 6 हजार वर्गफीट बेशकीमती जमीन को शासकीय मान लिया है. कोर्ट ने इसी के  साथ ही इस जमीन के अतिक्रामक पर 25 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया है. नई सड़क क्षेत्र के अंतर्गत नक्काशा नं -2 गली में स्थित शासकीय रामानुज मंदिर से जुड़ी इस जमीन का बाजार मूल्य लगभग 6 करोड़ रूपए आंका गया है. जिला प्रशासन ने अपने केस को मजबूत करने के लिए पुख्ता तथ्य कोर्ट के सामने पेश किए थे. जवाब-दावा और मजबूत पैरवी की बदौलत शासन हित में फैसला आया है.

मंदिर से जुड़ी थी यह बेशकीमती जमीन

कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने न्यायालयों में विचाराधीन सरकारी जमीन संबंधी अन्य सभी मामलों में भी पुख्ता तथ्यों के साथ जवाब-दावा प्रस्तुत करने के निर्देश जिले के सभी अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को दिए हैं. उन्होंने साफ किया है कि यदि तथ्यों के अभाव में शासन हित प्रभावित हुआ तो संबंधित राजस्व अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.

जानिए यह था पूरा मामला

तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व लश्कर विनोद सिंह ने बताया कि नई सड़क क्षेत्र में शासकीय रामानुज मंदिर से जुड़ी सर्वे क्रमांक – 156 रकबा, 5 हजार 939 वर्गफीट नजूल आबादी की जमीन पर सुशीला कछावा ने अतिक्रमण कर लिया था. सिविल न्यायालय में चले इस प्रकरण में शासन की जीत हुई थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने सुशीला कछावा के पक्ष में फैसला दिया था. इसके बाद अनुविभागीय अधिकारी राजस्व लश्कर द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका लगाकर तथ्यों के साथ जवाब-दावा प्रस्तुत किया गया.

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सर्वोच्च न्यायाल ने दिया सरकार के पक्ष में निर्णय

सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रकरण में शासन की ओर से प्रस्तुत किए गए तथ्यों व साक्ष्यों को सही मानकर शासन हित में फैसला सुना दिया. इस फैसले से लगभग 6 करोड़ रुपए बाजार मूल्य की यह जमीन फिर से सरकारी हो गई है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के परिपालन में सुशीला कछावा से 25 हजार रूपए का जुर्माना वसूलने के लिये तहसीलदार लश्कर को लिखित में निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

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