
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में फर्जी पुलिस वालों और फर्जी पुलिस की भर्ती करने वाला गिरोह पकड़ा गया है. इस गैंग को एक दुकानदार ने ही पकड़वाया, जिस पर वे पुलिस के फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार करवाने पहुंचे थे. कुछ लोगों को पकड़ने के बाद ग्वालियर में क्राइम ब्रांच ने फर्जी पुलिस गैंग का भंडाफोड़ किया है. इसमें एक फर्जी टीआई, दो फर्जी कॉन्स्टेबल और एक वाहन चालक को बुधवार देर रात क़ो गिरफ्तार किया है.
इनके कब्जे से फर्जी नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र बरामद, लाल बत्ती वाली स्कॉर्पियो, पुलिस की वर्दी आदि बरामद हुए हैं. पूछताछ से पता चला कि यह गिरोह परिवहन विभाग का स्क्वॉड बनाकर हाइवे पर ट्रक और अन्य वाहनों से अवैध वसूली के लिए गश्त पर निकलने वाला था.
इस गैंग को सूचना ऑनलाइन शॉप संचालक वैभव पाल ने पुलिस क़ो दी थी. वैभव ने बताया कि उनके चाचा मुकेश पाल की लीगल वर्कशॉप के नाम से चल रही ऑनलाइन दुकान के पीछे शिवम चतुर्वेदी नामक युवक खुद को एसपी ऑफिस में पदस्थ टीआई बताकर धमकाने लगा और दो फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार करवाए. बुधवार को तीन और नियुक्ति पत्र बनवाने के लिए उसने फिर कॉल किया, लेकिन वैभव ने मना कर दिया. इसके बाद युवक धमकाने लगा, जिस पर पुलिस को सूचना दी गई. सूचना मिलते ही डीएसपी क्राइम ब्रांच नागेन्द्र सिंह सिकरवार, साइबर सेल प्रभारी निरीक्षक धर्मेन्द्र सिंह कुशवाह और एसआई धर्मेन्द्र शर्मा ने तुरंत कार्रवाई की.
जैसे ही फर्जी गैंग और नियुक्ति पत्र बनाने पहुंचे लोगों क़ो मेट्रो टॉवर के अपार्टमेंट से वर्दी में ही दबोच लिया. क्राइम ब्रांच अधिकारियों द्वारा आरोपियों से पूछताछ जारी है. ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह फर्जीवाड़ा पहली बार किया गया या पहले भी करते रहे है.
क्राइम ब्रांच की पूछताछ में पकड़े गए संदेहियों ने अपने नाम शिवम चतुर्वेदी पुत्र पुरूषोतम चतुर्वेदी (निवासी सागर), पवन यादव पुत्र ओमकार यादव (निवासी सागर), नीरज यादव पुत्र कुंदन लाल यादव (निवासी सागर) और रविन्द्र यादव (निवासी सागर) होना बताया है. अब तक की पूछताछ में यह भी पता चला कि शिवम खुद को टीआई बता रहा था, जबकि पवन और नीरज खुद को कॉस्टेबल बताते थे और रविन्द्र ड्राइवर था.
ऐसे बनाया था कांस्टेबल
क्राइम ब्रांच की पूछताछ में फर्जी टीआई शिवम चतुर्वेदी ने बताया कि उसने पवन और नीरज को 40-40 हजार रुपए देकर फर्जी कॉस्टेबल बनाया था. वहीं रविन्द्र की कार को 55 हजार रुपए महीने पर एग्रीमेंट कर किराए पर लिया गया था. कार में उनकी यूनिफार्म और फर्जी नियुक्ति पत्र भी बरामदे किये गए. साथ ही लाल बत्ती भी रखी मिली. शिवम ने बताया कि बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात से ही वे हाइवे पर RTO दल बनाकर चेकिंग कर वसूली करने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही उन्हें क्राइम ब्रांच ने उन्हें दबोच लिया.
थानों में दर्ज हैं केस
अब तक की जांच में पता चला कि शिवम् चतुर्वेदी जो कि अपने क़ो टीआई बता रहा था, वही इस गैंग का सरगना है. पता चला है कि वह काफी शातिर किस्म का है और उसके खिलाफ सागर के अनेक थानों में चोरी और धोखाधड़ी के केस दर्ज हैं. इनमें से कुछ मे इसकी पत्नी भी आरोपी बताई जा रही है. उसने ही पुलिस की एक फर्जी टीम बनाने की योजना तैयार की. वह खुद टीआई की वर्दी पहनता था, अपने साथ पवन यादव और नीरज यादव क़ो आरक्षक की वर्दी पहनाकर रखता था. जबकि रविन्द्र यादव क़ो पुलिस ड्रायवर की भूमिका दी गई थी. गैंग ने स्कॉर्पियो किराए पर लेकर उस पर सायरन और लाल बत्ती भी लगवाई थी.
पता चला है कि दो माह पहले चारों युवक सागर से यहां आए थे. यह शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में घूमे और बेरोजगार युवकों को पुलिस में नौकरी लगवाने का झांसा देकर बीस लाख से ज्यादा रुपये ठगे. इन्होंने इसी पैसे से फर्जी वर्दी, लाल बत्ती, डंडे, जूते, स्टार ख़रीदे, गाड़ी लीज पर ली और ऐश कर रहे थे.
ऐसे आए पुलिस गिरफ्त मे
शहर के झांसीरोड़ इलाके के चंद्रवदनी नाका निवासी वैभव पाल की लीगल वर्क शॉप नाम से दुकान है. 10 दिन पहले शिवम चतुर्वेदी नामक युवक वहां आया और खुद को एसपी कार्यालय में पदस्थ टीआई बताया. उसने नौकरी नियुक्ति पत्र बनवाने के लिए पुलिस वर्दी और वाहन दिखाकर वैभव पर दबाव बनाया. वैभव ने मना किया लेकिन शिवम जबरदस्ती एक नियुक्ति पत्र बनवाकर उसका प्रिंट लिया फिर उसे अपने सामने ही डिलीट करवा गया। तीन दिन बाद शिवम और दो अन्य व्यक्ति पत्र बनवाने आए मना करने पर फिर धमकी दी. डरकर वैभव चुप रहा लेकिन वैभव ने पूरी बात अपने पिता को बताई. पिता के कहने पर वैभव ने पुलिस क़ो सूचना देकर एफआईआर दर्ज कराई. इसके बाद एसपी धर्मवीर सिंह ने सीएसपी नागेंद्र सिंह सिकरवार और क्राइम ब्रांच क़ो इसकी जांच में लगाया और बुधवार को चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. अभी गैंग से पूछताछ जारी है.
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