
Environment News: गाय अब सिर्फ धार्मिक आस्था की नहीं, बल्कि जलवायु रक्षा की भी प्रतीक बन सकती है-यह सोच लेकर मुंबई निवासी बारहवीं के छात्र विहान गुप्ता ने ‘प्रोजेक्ट MooDhan' की शुरुआत की है. इस अभिनव पहल का उद्देश्य गौशालाओं को मीथेन मुक्त बनाकर उन्हें कार्बन क्रेडिट मार्केट का हिस्सा बनाना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करना है. विहान का ननिहाल जबलपुर है और बचपन से गौशालाओं के प्रति जुड़ाव ने ही उन्हें इस परियोजना की प्रेरणा दी. IIT दिल्ली में कार्बन क्रेडिट्स पर हुए एक वाद-विवाद कार्यक्रम में भाग लेने के बाद उन्होंने जाना कि भारत में पशुधन, विशेषकर गायें, मीथेन जैसी शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस के सबसे बड़े स्रोतों में से एक हैं. मीथेन का जलवायु पर प्रभाव कार्बन डाइऑक्साइड से लगभग 80 गुना अधिक होता है.

Environment News: विहान गुप्ता
क्या खास कर रहे हैं विहान?
इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए विहान ने जबलपुर की तिलवारा स्थित दयोदय गौशाला में प्राकृतिक आहार योजकों जैसे नीम पत्ती चूर्ण, विफला और कपास खली का उपयोग कर गायों के पाचन तंत्र में मीथेन उत्पादन को 15-18% तक कम करने के सफल प्रयोग किए. उन्होंने गोबर का तापमान व pH स्तर भी मापा जिससे वैज्ञानिक आंकड़ों के साथ समाधान प्रस्तुत किया जा सके.
पर्यावरण दिवस (5 जून) को लेकर विहान का संदेश है कि "गौशालाएं सिर्फ धर्म का केंद्र न रहकर जलवायु परिवर्तन के समाधान का माध्यम भी बनें." उनका सपना है कि ‘MooDhan' मॉडल को देशभर में लागू किया जाए ताकि पारंपरिक आस्था और आधुनिक विज्ञान का अद्भुत संगम भारत को एक कार्बन-मुक्त भविष्य की ओर ले जा सके.
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