
MP Latest News: आगर मालवा जिले का इकलौता शासकीय विधि महाविद्यालय (Government Law College) संकटों से गुजर रहा है. पढ़ने वाले विद्यार्थी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. मान्यता को लेकर मची ऊहापोह के बीच अब छात्रों को अन्य महाविद्यालय में ट्रांसफर किया जा रहा है. इस विधि महाविद्यालय का उद्घाटन तीन साल पहले तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री और वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने किया था.
आगर और सारंगपुर को जोड़ने वाली सड़क के किनारे पर कलेक्टर कार्यालय से कुछ ही फासले पर एक पुरानी बिल्डिंग और इसके आसपास का परिसर पूरी तरह से खाली नजर आता है. खामोशी ने पूरे परिसर को अपने आगोश में लिया हुआ है. एक कर्मचारी धूप में कुर्सी बैठा हुआ दिखाई देता है. भवन के ऊपर वाले हिस्से में नीले रंग के बोर्ड पर लिखा हुआ शासकीय विधि महाविद्यालय आगर मालवा (Government Law College Agar Malwa)...बिल्डिंग के अंदर जाने पर पता चला कि अंदर कोई भी नहीं है. ना पढ़ने वाले विद्यार्थी और ना पढ़ने वाला स्टाफ या कॉलेज के प्राचार्य (Principal)... पूरा कॉलेज एक कर्मचारी के भरोसे नजर आया. थोड़े ही देर में कुछ छात्र आते हैं और वहां मौजूद कर्मचारी से कुछ पूछताछ करते हैं. कर्मचारी संतोष शिंदे एक लिस्ट निकाल कर बारी-बारी से छात्रों को उनका नाम दिखाते और उसके आगे लिखे कॉलेज का नाम और पता बताते हुए कहते कि उनका ट्रांसफर अन्य विधि कॉलेज में हो गया है.
पसोपेश और हैरानी में छात्रों के चेहरे पर लाचारी साफ दिखाई देती है. बात करने वजह पूछने पर झल्लाहट में एक छात्र रविन्द्र प्रताप सिंह ने NDTV को बताया
2022- 23 में एडमिशन लिया था. समस्या यह हो गई है कि हमारा फर्स्ट और सेकंड सेमिस्टर हो चुका है, अब थर्ड सेमिस्टर होना है मगर अब शासन की तरफ से बताया जा रहा है कि कॉलेज बंद हो रहा है....तो आप दूसरे जिलों के विधि कॉलेज (Law College) में एडमिशन ले लीजिए... क्योंकि अब आपका ट्रांसफर किया जा रहा है और TC आपको प्रदान की जा रही है...और अगर आप TC नहीं लेना चाहोगे तो आपकी TC बनाकर रख दी गई है और अन्य कॉलेज में जहां सीट खाली होगी वहां पहुंचा दी जाएगी. पहले तो चॉइस फिलिंग भी थी मगर अब मर्जी से ही अन्य कॉलेजों में ट्रांसफर किया जा रहा है.
ऋतिक सिंह सिसोदिया भी अपने एडमिशन को लेकर कॉलेज आए हुए है. ऋतिक कहते हैं,
गवर्नमेंट कॉलेज होने के बावजूद भी अन्य कॉलेज के मुकाबले में यहां पर फीस बहुत ज्यादा लग रही है. हमने यहां पर सात हजार रुपए फीस जमा की है जबकि दूसरे जिले के शासकीय कॉलेज में केवल दो हजार रुपए फीस है. हमको बीच मंझदार में छोड़ा जा रहा है. फर्स्ट ईयर की पढ़ाई हमने यहां की और अब सेकंड ईयर के लिए ये कह रहे हैं कि दूसरे कॉलेज में जाइए...और वह भी किसी प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए दबाव बना रहे हैं. आखिर ऐसा कोई कैसे कर सकता है...? अगर प्राइवेट कॉलेज में ही एडमिशन लेना था तो फिर यह सरकारी-प्राइवेट में सब क्यों किया गया...?
दरअसल, आगर मालवा में 1956 से विधि कॉलेज चलता आ रहा था. साल 2013 में कई कारण गिना कर बंद कर दिया गया. कई स्तर पर विधि कॉलेज वापस शुरू करने के लिए आंदोलन किए गए. जानकारी के मुताबिक, साल 2019 में अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा (Additional Director Higher Education) ने प्रदेश के हर जिले में एक विधि महाविद्यालय खोले जाने से जुड़ा पत्र जारी किया. आगर मालवा में भी विधि कॉलेज खोले जाने का उल्लेख इस पत्र में है. साल 2020 में विधानसभा उपचुनाव के ठीक पहले आनन फानन में बिना किसी तैयारी के इस कॉलेज का खोला गया. कॉलेज का लोकार्पण अट्ठाइस सितंबर 2020 को कर दिया गया. तब के उच्च शिक्षा मंत्री ने इस शासकीय महाविद्यालय का लोकार्पण किया था.
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छात्र आंदोलन को मुखर रूप से चलाने वाले अंकुश भटनागर ने NDTV से बात करते हुए कहा कि
जो जानकारी मिली तो पता चला कि इस कॉलेज में स्टाफ नहीं हैं....फर्नीचर नहीं है. ये कॉलेज की विक्रम विश्वविद्यालय से संबद्ध (Affiliated) नहीं है. ये बहुत बड़ा धोखा है. जब मान्यता ही नहीं है तो क्यों एडमिशन किए गए. क्यों परीक्षाएं ली गई? अब छात्र छात्राओं का ट्रांसफर अन्य कॉलेजों में करने की बात कही जा रही है. दो साल जिस विद्यार्थी ने इस कॉलेज ने पढ़ाई की है उसका ट्रांसफर दूसरी जगह करना कहां का न्याय है?"
अंकुश NDTV को कलेक्टर का पत्र दिखाते हुए कहते हैं कि इसमें लिखा हुआ है जिन प्रोफेसर्स की ज्वाइनिंग इस कॉलेज में होनी थी वो भी नहीं हुई. इस विधि कॉलेज को जमीन और भवन होने के बाद भी स्टाफ नहीं मिल पाया और अब छात्र-छात्राएं अपनी डिग्री और सर्टिफिकेट के लिए कह रहे हैं.
वकील यानी देश के कानून को जानने वाला व्यक्ति होता है. कानून की पढ़ाई विधि कॉलेजों में होती है जहां से वो निकल कर वकील बनते है...और नियम कानून की जानकारी होने के चलते आम लोगो कानूनी सलाह देते हैं. आगर मालवा मालवा के शासकीय विधि महाविद्यालय (Government Law College) में तो कानून की पढ़ाई करने छात्र-छात्राएं खुद नियमों के फेर में उलझ गए हैं...तो इनके भविष्य का क्या होगा?
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