विज्ञापन

Baggar Free Indore: भिक्षा छोड़ आत्मनिर्भर बने भिखारी, लाखों के कारोबार में ऐसे जुटा रहे हाथ

इंदौर को भिक्षुक मुक्त शहर बनाने के लिए करीब 8000 भिखारियों को रेस्क्यू किया गया था। इनमें से अधिकांश को पुनर्वास केंद्र में रखा गया और उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया गया. अब ये भिखारी इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बना रहे हैं.

Baggar Free Indore: भिक्षा छोड़ आत्मनिर्भर बने भिखारी, लाखों के कारोबार में ऐसे जुटा रहे हाथ

Madhya Pradesh Hindi News: भिक्षुक मुक्त इंदौर (Baggar Free Indore) के तहत पिछले कुछ वर्षों से भिक्षुओं को रेस्क्यू कर पुनर्वास करने का कार्य किया जा रहा था. जिसमें उन्हें नशे से दूर रखना और मानसिक बीमारी होने पर तुरंत इलाज करवाना शामिल था. वहीं, इन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए स्किल डेवलपमेंट (Skill Development) ने मुख्य भूमिका निभाई. अब गणेश उत्सव (Ganesh Utsav) शुरू होने के दो माह पहले से ही भिक्षुक 7 हजार से भी ज्यादा इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं तैयार कर रहे है. इंदौर ही नहीं, अब प्रदेश के बाहर से भी प्रतिमाओं के लिए ऑर्डर आ रहे हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

संस्था की कर्ताधर्ता रुपाली जैन बताती हैं कि भिक्षुक पुनर्वास केंद्र में रेस्क्यू कर लाए गए लोगों को रोजगार निर्माण करना लगातार संस्था का उद्देश्य रहा है, जिससे वह अपने आय से अपना और अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें. इसी उद्देश्य के तहत इस बार इको फ्रेंडली गणेश (Eco Friendly Ganesha) बनाने का निर्णय लिया गया है. गणपति की प्रतिमा बनाने के लिए पुनर्वास के 27 हितग्राही शामिल हैं.

22 वर्ष तक भिक्षा मांगने वाले अब कर रहे कमाई

संस्था प्रवेस में रेस्क्यू कर लाए रवि यादव जो खुद पहले 10 वर्ष की आयु से नशे के आदी हो गए थे और अपने जीवन के 22 वर्ष भीख मांग कर अपना जीवन व्यतीत करते थे. वह बताते हैं कि अभी तक उन्होंने तीन से चार हजार गणपति बनाकर तैयार कर लिए हैं. वहीं, इस कार्य के लिए दिन भर चार से पांच घंटे देते हैं. खास बात यह है कि सभी गणपति गोबर से बनाए गए हैं.

अपने हिसाब से करते हैं काम

गणपति को आकार देने के बाद मूर्तियों को दूसरे चरण पर भेजा जाता है, जिसमें फिनिशिंग का कार्य किया जाता है. फिनिशिंग में घिसाई, कलर पेंटिंग और किसी भी त्रुटी को सही करना शामिल है. चूंकि संस्था में सभी प्रकार के लोग शामिल हैं, इसीलिए सब अपने हिसाब से कार्य करते हैं. जहां कुछ लोग 5 मिनट में एक मूर्ति को रंग देते हैं तो वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोगों को 15 से 20 मिनट भी लगते हैं.

ये भी पढ़ें- युद्ध के समय काम आने वाला ड्रोन अब पुलिस की करेगा मदद, जरूरत पड़ने पर आंसू गैस के गोले छोड़ेगा; कई किमी तक रखेगा नजर

होलसेल में आ रहे ऑर्डर

प्रदेश और प्रदेश के बाहर से लगातार होलसेल में ऑर्डर्स आ रहे हैं, जिसमें अब गिनती 7000 के पार पहुंच चुकी है. छत्तीसगढ़, धार, सरदारपुर, डूंगरपुर और इंदौर शामिल है. कई संस्थान भी लगातार ऑर्डर दे रहे है. 

गणपति की मूर्ति संस्थान में तैयार करने के लिए 6 से 8 लाख रुपये का इन्वेस्टमेंट किया गया है. वहीं, इस बार 17 से 18 लाख रुपये की कमाई होने की संभावना है.

ये भी पढ़ें- Sawan 2025: शिवलिंग पर चढ़ाने वाली 10 आवश्यक सामग्री, जिनसे सावन में भोलेनाथ होते हैं प्रसन्न

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close