Burhanpur News: बुरहानपुर जिले की एसटी आरक्षित विधानसभा सीट नेपानगर से विधायक रहीं सुमित्रा कास्डेकर को जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) से राहत मिली है. हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने चुनावी हलफनामे में प्रस्तुत किए गए जन्म प्रमाण पत्र को लेकर थोड़ी राहत दी है. बता दें कि पूर्व विधायक सुमित्रा कास्डेकर (Sumitra Kasdekar) के खिलाफ चुनावी हलफनामे में गलत जन्म प्रमाण देने के आरोप लगे थे. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस तरह के मामले की सुनवाई करने का अधिकार जेएमएफसी कोर्ट के पास नहीं है. इस तरह के मामलों की सुनवाई के लिए भोपाल और इंदौर में स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट है. वहीं इस पर याचिकाकर्ता के वकील जहीर उद्दीन शेख ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर अब हम इस मामले की सुनवाई के लिए एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में जाएंगे.
बता दें कि पूर्व विधायक सुमित्रा कास्डेकर के खिलाफ चुनावी हलफनामे में गलत जन्म प्रमाण देने के आरोप लगे थे. पूर्व विधायक के खिलाफ बुरहानपुर के आरटीआई कार्यकर्ता बालचंद शिंदे ने बुरहानपुर जिला कोर्ट की निचली अदालत में याचिका दाखिल की थी. मामले की सुनवाई करने के बाद बुरहानपुर की निचली अदालत ने मई 2022 को नेपानगर से तत्कालीन बीजेपी विधायक सुमित्रा कास्डेकर के खिलाफ धोखाधड़ी के तहत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे.
याचिकाकर्ता का क्या है आरोप?
याचिकाकर्ता बालचंद शिंदे के वकील एडवोकेट जहीर उद्दीन शेख ने बताया कि नेपानगर क्षेत्र से 2019 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनी सुमित्रा कास्डेकर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थी. 2020 में दोबारा नेपानगर सीट पर उपचुनाव हुआ, बीजेपी ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुई सुमित्रा कास्डेकर को अपना प्रत्याशी बनाया. 2020 के उपचुनाव में सुमित्रा कास्डेकर ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में अपनी जन्म तिथि 15 अगस्त 1983 दर्शाई. इसके अलावा उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता 8वीं बताई. लेकिन, 2011 में गैस एजेंसी के लिए दिए शपथ पत्र में उन्होंने जन्म तिथि वर्ष 4 मई 1985 बताई है और शैक्षणिक योग्यता दसवीं बताई है.
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