
Balaghat death penalty News: वारासिवनी न्यायालय की विशेष पास्को एक्ट की अदालत में जिले के सनसनीखेज अपराधों में शुमार थाना तिरोड़ी मेहकेपार चौकी के ग्राम चिटकादेवरी स्थित राजीव सागर बांध की मुख्य नहर के पास दो नाबालिग बहनों का बलात्कार कर हत्या करने के मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है. पास्को एक्ट अदालत की विशेष न्यायाधीश कविता इनवाती ने मामले में आरोपी गिरधारी को दो बहनों में बड़ी बहन के साथ बलात्कार का प्रयास कर हत्या करने और छोटी बहन का बलात्कार कर हत्या करने के आरोप में मृत्युदंड की सजा सुनाई है. दोनों मृतक बच्चियों का आरोपी से बड़े पिता का रिश्ता बताया जा रहा है जिसे सजा सुनाने के बाद आवश्यक कार्रवाई कर जेल भेज दिया गया. उक्त प्रकरण में पीड़िता की ओर से शासकीय अधिवक्ता वारासिवनी शशिकांत पाटिल ने पैरवी की.
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के अनुसार 3 वर्ष और 6 वर्ष की दोनों नाबालिग मृतका के पिता 3 अप्रैल 2022 को अपने रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए बाहर गए हुए थे. इस दौरान उनके घर पर उनकी मां, पत्नी और दो बच्चियां थीं, जिसमें 4 अप्रैल 2022 को मृतका की मां महुआ चुनने के लिए गई हुई थी. जब वह वापस घर आई और आस पड़ोस में उसे कहीं दोनों बेटियां नहीं दिखीं तो उसने दोपहर 3 बजे फोन कर इसकी जानकारी अपने पति को दी. इसके बाद ग्रामीणों के साथ पूरे गांव में बच्चियों को ढूंढ़ा गया लेकिन कुछ पता नहीं चला.
यह भी पढ़ें : 'विकसित भारत के चार स्तंभों को मजबूत करेगा नया बजट', पीएम मोदी ने 'टीम निर्मला' को दी बधाई
तभी गांव के एक व्यक्ति प्रकाश ने बताया कि सुबह 10:30 बजे उनकी दोनों बेटियों को गिरधारी अपनी बाइक पर बिठाकर जंगल में राजीव सागर बांध की मुख्य नहर की तरफ ले जा रहा था. ग्रामीणों ने मौके पर जाकर देखा लेकिन कुछ पता नहीं चला जिसके बाद महकेपार चौकी में मौखिक सूचना दी गई, जिस पर पुलिस ने गिरधारी के खिलाफ भादवि की धारा 363 366क के तहत अपराध पंजीबद्ध कर जांच में लिया गया.
राजीव सागर बांध की नहर से बरामद हुए शव
तिरोड़ी पुलिस के द्वारा दर्ज अपहरण के अपराध में विवेचना प्रारंभ कर प्रार्थी की निशानदेही पर जांच शुरू की गई. इस दौरान राजीव सागर बांध घने जंगल और बांध से निकलने वाली मुख्य नहर की जांच की गई. बांध से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर नहर से करीब 6 साल की बड़ी बच्ची और करीब 3 साल की छोटी बच्ची के शव 5 अप्रैल 2022 को बरामद कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिए गए.
उक्त मामले में अपहरण के आरोपी गिरधारी को बोनकट्टा से 6 अप्रैल 2022 को पुलिस ने अपनी अभीरक्षा में लेकर कड़ाई से पूछताछ करने के उपरांत 7 अप्रैल 2022 को गिरफ्तार कर मेडिकल कराकर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया.

आरोपी ने क्यों की थी हत्या?
आरोपी गिरधारी के परिवार की जमीन सामूहिक है जिसका बंटवारा नहीं हुआ था. ऐसे में दोनों मृत बच्चियों के पिता भी उसी जमीन के एक हिस्से पर खेती करते हैं. आरोपी और उसके परिवार को लगता था कि उनके द्वारा ज्यादा जमीन लेकर खेती की जा रही है जिसको लेकर दोनों परिवारों के बीच विवाद बना हुआ था. इस बीच साल 2022 की मकर संक्रांति पर दोनों मृतिका की मां के द्वारा आरोपी गिरधारी सोनवाने को लड्डू और पोहा खाने के लिए दिया गया था. आरोपी को ऐसा लग रहा था कि लड्डू और चिवड़ा में उसे कुछ मिलाकर दिया गया है जिसके कारण उसके पेट में हल्की जलन और सर में गर्मी बनी हुई है.
जादूटोना करवाने के संदेह में वह पंडा ओझा के पास झाड़फूंक और दवा करवाने लगा. उसने बदला लेने की सोच एक योजना बनाई. 4 अप्रैल 2022 को सुबह 10 बजे वह दोनों बच्चियों की फोटो की पूजा कर उन्हें उनके घर से अपने साथ गाड़ी पर हत्या करने के मकसद से कुड़वा बांध बड़ी नहर की ओर लेकर चल दिया. जहां से बांध का पानी निकलता है वहां ले जाकर उसने दोनों बच्चियों के साथ मारपीट की. इसके बाद उसने 6 साल बच्ची के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया लेकिन वह लगातार बचने का प्रयास करती रही और काबू में ना आने पर उसने उसके सिर पर पत्थर मार दिया और उसे नहर में फेंक दिया. इसके बाद उसने 3 साल की बच्ची के साथ बलात्कार की घटना को अंजाम देकर उसे भी नहर में फेंककर तत्काल वहां से निकल गया.
यह भी पढ़ें : आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक... जीतू पटवारी बोले- बजट में BJP ने बोले चार झूठ!
मृत्युदंड की सुनाई गई सजा
वारासिवनी न्यायालय में अभियोग पत्र पेश किया गया जिसके बाद से यह प्रकरण विशेष न्यायाधीश पास्को एक्ट कविता इनवाती की अदालत में विचाराधीन था. आरोपी गिरधारी को अपराध सिद्ध होने पर उसे भादवि की धारा 363 364 302 201 366 ए 376 376क ख एवं पास्को एक्ट की धारा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के तहत 6 वर्षीय बालिका की हत्या करने के आरोप में आजीवन कारावास और 3 वर्षीय बालिका का बलात्कार कर हत्या करने के आरोप में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई. मृत्यु दंड का फैसला लिखने के बाद न्यायाधीश ने पेन की निप तोड़ दी.