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500 साल पहले कौन थे आपके पूर्वज? यहां मिलेगा सदियों का पूरा लेखा-जोखा

Family History: जाती या वर्ण व्यवस्था से जुड़ी हुई वंश की जानकारी के लिए प्रामाणिक दस्तावेज है, जिसे ब्रह्म भाट या राव समाज के लोगों द्वारा संजोई गई है.

500 साल पहले कौन थे आपके पूर्वज? यहां मिलेगा सदियों का पूरा लेखा-जोखा

Family History: व्यक्ति अपनी पहचान को किस तरह से विस्तार देता है. जाती या वर्ण व्यवस्था से जुड़ी हुई वंश की जानकारी का प्रामाणिक दस्तावेज है. ब्रह्म भाट या राव समाज के लोगों द्वारा संजोई गई पोथियां. इन पोथियों में वंशावली लेखन का काम सैकड़ों सालों चला आ रहा है, जो परिवार की पीढ़ी दर पीढ़ी की जानकारी इस दस्तावेज में है.

आगर मालवा में सोनी समाज के भाट मंगल सिंह अपने चार पहिया वाहन से लाल कपड़े में लिपटी हुए कई सारे पोथियों के बंडल ले कर आए हैं. वो कई पीढ़ियों से इस इलाके के सोनी समाज के लोगों की पारिवारिक पोथी लेखन का काम करते आ रहे हैं. इस दौरान एनडीटीवी की टीम की मुलाकात भाट मंगल सिंह से हुई, जहां वो पोथी लेखन कर रहे थे. बता दें कि संतोष सोनी के परिवार का पोथी लेखन करीब एक सौ पचहत्तर सालों के बाद हो रहा था. संतोष अपने परिवार की जानकारी के लिए उत्सुक थे. साथ ही पुरानी जानकारी जो पोथी में दर्ज थी उसकी प्रामाणिकता को लेकर कई सवाल उनके मन में थे.

साढ़े पांच सौ साल से दर्ज हैं पूर्वजों के नाम

भाट मंगल सिंह ने बताया कि वो और उनका परिवार मूलतः राजस्थान के किशनगढ़ क्षेत्र के रहने वाले हैं. ब्रह्म भाट समाज के लोग परिवारों के पोथी लेखन का काम पीढ़ियों से करते आ रहे हैं. जो पोथियां वो लेकर आए है ये करीब साढ़े पांच सौ साल पुरानी है, जिसमें लोगों की वंशावली दर्ज है, क्योंकि कागज का आविष्कार हुए साढ़े पांच सौ हुए है, इसलिए इन पोथियों में वंशावली का केवल इतना ही रिकॉर्ड दर्ज है. उससे पहले ताम्र पत्र पर वंशावली लेखन होता था. 

पोथियों के लिए खास तरीके से होता है कागज और स्याही का इस्तेमाल

मंगल सिंह ने आगे बताया कि इन पोथियों के लिए कागज और स्याही का खास तरीके से इस्तेमाल जाता है, जो लंबे अरसे तक  खराब नहीं होता है. कागज बनाने की खास विधि थी. एक रसायन के सहयोग से हाथ से कूटकर कागज तैयार होता था, जिससे इसकी मोटाई और चमक बनी रहती है. यह फटता नहीं है और स्याही भी नहीं मिटती है. पोथियों के लिखने के लिए पिंगल देवनागरी लिपि का उपयोग किया गया है, जिसे हर कोई नहीं पढ़ सकता. परिवार के बुजुर्ग उन्हें सिखाते है कि इस लिपि को कैसे लिखा और पढ़ा जाता है?

पिंगल देवनागरी लिपि में लिखते थे 

पोथियों में कुछ कुछ जगह अतिरिक्त कागज अलग से लगाए गए है, जिसमें हिंदी भाषा में जानकारियां लिखी है. ब्रह्म भाट मंगल सिंह ने पूछने पर बताया कि अब वर्तमान दौर में जो पीढ़ी है वो पिंगल देवनागरी लिपि नहीं समझती, उनके बच्चे उस लिपि को सिख नहीं पा रहे हैं, जिसके चलते अब जो भी लेखन हो रहा है वो हिंदी भाषा में हो रहा है.

वंशावली लिखने के लिए दिया जाता है इनाम

मोटी मोटी पोथियों में परिवार के सैकड़ों साल पुरानी जानकारी रोचक अंदाज में दर्ज है. जैसे कि किसी परिवार के पूर्वज की जो जानकारी लिखी गई वो सही या नहीं या फिर किस दौर में लिखी गई. इसके लिए पारिवारिक वंशावली के विवरण के साथ तत्समय के स्थानीय राजा या प्रशासक या इलाके के मुखिया का नाम भी लिखा जाता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उक्त नाम के परिवार के लोग किस संवत् में कहां थे. वंशावली लिखने के एवज में ब्रह्म भाट को एक निश्चित राशि या सामग्री के रूप में इनाम दिया जाता था. कई वंशावली में देखने में आया कि ब्रह्म भाट को ऊंट, बैलगाड़ी, कोड़ी, सोना या चांदी भी दिया गया था. हालांकि अब दौर बदल गया इसलिए वंशावली लेखन के एवज में नगद राशि दी जाती है. 

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संतोष सोनी अपने परिवार के वंशावली की पुष्टि के लिए अलग-अलग तरह के सवाल करते दिखें. हर एक सवाल का संतोषजनक जवाब मंगल सिंह लगातार देते रहे और पोथियों में दर्ज उनके परिवार की जानकारी की प्रामाणिकता साबित करते रहे.  

साहित्य, इतिहास और तथ्यों की खोजपरक जानकारी रखने वाले तेज सिंह चौहान कहते हैं कि ये पोथियां भारतीय सनातन धर्म और संस्कृति से संबंध जातियों के विकास से जुड़ी परंपराओं का जीता जागता प्रमाण है. वंशावली लेखन कार्य से जुड़े लोग देश भर में भ्रमण करते हैं. संबंधित परिवारों से संपर्क कर मौजूदा वंश की जानकारियां पोथियों में दर्ज करते हैं और ये सिलसिला अनवरत चलता रहता है. ब्रह्म भाट को वंशावली लेखन संदर्भ में अलग अलग क्षेत्र में बड़वा, जागा और राव के नाम से जाने जाते हैं.

न्यायिक व्यवस्था में भी वंशावलय लेखन का है मान्यता

वंशावलय लेखन को न्यायिक व्यवस्था में भी मान्यता दी गई है. भाट मंगल सिंह ने बताया कि कई बार पारिवारिक विवाद या जमीन के विवाद या अन्य संपत्तियों के विवाद को लेकर कोर्ट द्वारा उन्हें समन जारी कर बुलाया जाता है. वंश, परिवार या संपत्ति के विवाद के हल लिए उनकी पोथियों में दर्ज जानकारी को प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाता है और उसके आधार पर फैसले होते हैं.

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बेहद दिलचस्प है वंशावली लेखन

पोथियों में दर्ज वंशावली की जानकारी लेखन का काम बेहद जटिल और दिलचस्प है. इन्हें बेहद सुरक्षित तरीके से सहेजा जाता है, जो पोथियों ब्रह्म भाट अपने साथ लेकर चलते हैं. उसके अलावा एक अन्य कॉपी और भी रहती है.

ब्रह्म भाट जब वंशावली लिखते है तो परिवार के सभी सदस्य जिनमें बच्चे, महिलाएं, पुरुष जो भी हो उनके नाम के अलावा रिश्ता भी दर्ज करते हैं. किस सदस्य का जन्म कब हुआ जैसी जानकारियां आने वाली पीढ़ियों के लिए एतिहासिक संदर्भ में उपयोग की जाती है.

सैकड़ों साल बीतने के बाद अब कुछ पोथियों जीर्ण शीर्ण नजर आती है. अलग-अलग काल खंडों में लिखी गई इन पोथियों के डिजिटल स्वरूप में सुरक्षित करने की जरूरत के साथ ही नई पीढ़ी को इस अद्भुत शैली से अवगत कराने की अब जरूरत महसूस की जाने लगी है.

दिलचस्प बात यह है कि ब्रह्म भाट अपनी पोथियों में जो जानकारी दर्ज करते है वो परिवार में जन्म लेने वाले नए सदस्य की जानकारी वंशावली के रूप में लिखते हैं, जबकि परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु की जानकारी इन पोथियों में नहीं लिखी जाती. मृत होने वाले सदस्य की जानकारी गया, बनारस आदि स्थानों पर पिंडदान करवाने पंडा समुदाय के लोग करते हैं. यानी ब्रह्म भाट जानकारियों को बढ़ते क्रम में दर्ज करते है और पंडा लोग जानकारियों को घटते क्रम में लिखते हैं जिसका अपना अलग इतिहास है.

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