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This Article is From Sep 07, 2024

MP News: 'नेत्रदान है महादान', रीवा में नुक्कड़-नाटक की मदद से डॉक्टरों ने दिया खास संदेश 

Rewa News: नेत्रदान की महिमा को बताने के लिए रीवा के डॉक्टरों ने खास नुक्कड़-नाटक किया. इसमें उन्होंने नेत्रदान के महत्व के बारे में अनोखे बताया. 

MP News: 'नेत्रदान है महादान', रीवा में नुक्कड़-नाटक की मदद से डॉक्टरों ने दिया खास संदेश 
नेत्रदान के महत्व को किया गया उजागर

Eyes Donation importance: जीते जी तो सभी दान करते हैं, लेकिन मरने के बाद किया गया दान महादान माना जाता है. नेत्रदान (Eye Donation) कर देने से दूसरों के जीवन में उजाला भर जाता है. नुक्कड़-नाटक (Street Play) के माध्यम से नेत्रदान को लेकर श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय और संजय गांधी अस्पताल (Sanjay Gandhi Hospital) के डॉक्टरों ने नेत्रदान का संदेश दिया. नुक्कड़ आया, नुक्कड़ आया, नेत्रदान का संदेशा लाया, नाटक खेल कर रीवा के संजय गांधी अस्पताल के कैंपस में श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय के डॉक्टरों और संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने मिलकर नाटक प्रस्तुत किया. संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने नाटक के माध्यम से इस भ्रांति को दूर करने का कोशिश किया कि नेत्रदान से किसी के शरीर में भी कोई नुकसान होता है. बल्कि फायदा होता है, मरने के बाद भी उसकी आंखें जिंदा रहती है.

नुक्कड़-नाटक की मदद से डॉक्टरों ने दिया खास संदेश

नुक्कड़-नाटक की मदद से डॉक्टरों ने दिया खास संदेश

कब तक कर सकते हैं नेत्रदान 

कोई भी व्यक्ति अपने जीवन काल में नेत्रदान करने के फॉर्म भर सकता है. यह फॉर्म अस्पताल के नेत्र विभाग में मौजूद होता है. प्रतिज्ञा ले सकता है जिसके चलते मरने के बाद उसकी आंखें डॉक्टर निकालकर किसी जरूरतमंद को लगाते हैं. मृत्यु के 6 घंटे के अंदर तक आदमी की आंख जिंदा रहती है. आंखें खराब नहीं होती हैं और इससे शरीर का भी कोई नुकसान नहीं होता है. साथ ही चेहरे में किसी तरीके की विकृति नहीं आती है. पुतली निकालने में केवल 15 मिनट का वक्त लगता है. जिसके चलते मृत्यु के बाद होने वाली जरूरी धार्मिक गतिविधियों में किसी भी तरीके का रॉड नहीं अटकता और देर नहीं होती. 

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डॉक्टर केवल पुतली निकालते हैं-डॉक्टर

संजय गांधी अस्पताल की वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डॉ. शशि जैन कहती हैं कि डॉक्टर आंख नहीं निकालते है, बल्कि केवल पुतली निकालते हैं. उसके बाद पलक अपने आप बंद हो जाती है. किसी को पता भी नहीं चलता कि इस व्यक्ति की आंख डॉक्टर ने निकाल ली है. लोगों में इस बात को जन जागरण के माध्यम से फैलाना जरूरी है कि डॉक्टर आंख निकाल लेंगे. चेहरा पूरा खराब हो जाएगा. हकीकत में डॉक्टर आंख निकालते ही नहीं है, बल्कि केवल पुतली निकालते हैं.

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