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This Article is From Dec 29, 2023

कुंडेश्वर मंदिर बना राजनीति का अखाड़ा, 6 साल बाद भी नहीं हो सका कार्यकारिणी चुनाव, जानें क्या है वजह?

Kundeshwar Shiv Temple in Tikamgarh: कुंडेश्वर शिवमन्दिर में 6 साल बीत जाने के बावजूद मन्दिर कार्यकारिणी का चुनाव नहीं हो सका है, जबकि इसका कार्यकाल मात्र 3 साल का होता है.

कुंडेश्वर मंदिर बना राजनीति का अखाड़ा, 6 साल बाद भी नहीं हो सका कार्यकारिणी चुनाव, जानें क्या है वजह?
6 साल बीत जाने के बाद भी Kundeshwar Shiv Temple में नहीं हो सका कार्यकारिणी का चुनाव

टीकमगढ़ (Tikamgarh) जिला ही नहीं बुन्देलखंड का प्रसिद्ध शिवमन्दिर कुंडेश्वर (Kundeshwar) को भी अपने स्वार्थ और निजी फायदे के लिए लोगों ने राजनीति का अखाड़ा बना दिया है. जिसके चलते हजारों भक्तों की आस्था को ठेस पहुंच रही है. इतना ही नहीं मन्दिर कार्यकारिणी का समय 3 साल होने के बावजूद यहां लोग 6 साल बीत जाने के बाद भी अपने पद पर काविज हैं. वहीं भक्तों ने इसकी वजह राजनीति पकड़ बता दे रहे हैं. 

दरअसल,  बुन्देलखंड का प्रसिद्ध शिवमन्दिर कुंडेश्वर में 6 साल पहले बनी कार्यकारिणी की राजनीति अब चरम पर दिखाई दे रही है. वहीं मन्दिर कार्यकारिणी का समय 6 साल बीत जाने के बाद भी लोग अपने पद पर काविज हैं, जबकि इस पद पर रहने का कार्यकाल महज 3 साल है. साथ ही इस मंदिर में नियम विरुद्ध तरीके से काम हो रहे हैं. वहीं लोगों ने मंदिर के सदस्यों पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया है.

2017 के बाद नहीं हुआ कार्यकारिणी चुनाव

टीकमगढ जिले के इस मंदिर में 1800 सो के लगभग सदस्य है, जो आजीवन सदस्य है और यहां पर निजी ट्रस्ट भी काम करता है. जिसका निर्वाचन साल 2017 में हुआ था, जबकि इसका कार्यकाल मात्र 3 साल का होता है. वहीं इसके चुनाव हुए 6 साल बीत गए हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां चुनाव नहीं करवाया जा रहा है. इधर, चुनाव नहीं होने से नाराज कई पदाधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है. साथ ही वर्तमान कार्यकारिणी पर लोगों ने मनमानी और भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया है. वहीं दुकानों के आवंटन को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

सस्ते दामों पर दे दिया गया मंदिर में स्थित प्रसाद दुकान

बता दें कि मन्दिर की प्रथम दुकान मन्दिर के महाप्रसाद के लिए आवंटित थी, लेकिन अध्य्क्ष ने अपन करीबी को ये दुकान 780 रुपये प्रतिमाह में देकर मंदिर को लाखों रुपये का चूना लगाया गया है. इस दुकान में ट्रस्ट के अध्य्क्ष का पार्टनर होना बताया गया है, क्योंकि इस दुकान पर प्रसाद की बिक्री लाखों की होती है. वहीं सस्ते दामों पर दुकान को किराया देना भी लोग निजी स्वार्थ बता रहे हैं.

मन्दिर के निर्वाचन को लेकर आई शिकायतें

इस मामले को लेकर टीकमगढ एस डी एम का कहना है कि उनके पास भी मन्दिर के निर्वाचन को लेकर शिकायतें आई है. जल्द ही मन्दिर ट्रस्ट के चुनाव सम्पन्न करवाये जाएंगे और मन्दिर की दुकानों के आवंटन में भ्रष्टाचार की जांच भी जल्द करवाई जाएगी. 

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