Land Scam in Maihar: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मैहर जिले के बड़ा इटमा निवासी आदिवासी समाज (Adivasi Samaj) के लोग बेहद खुश थे कि उन्हें आजीविका चलाने के लिए आवंटन में जमीन मिल गई... लगभग 20 साल पहले किए गए आवंटन में आठ परिवारों को ढाई-ढाई एकड़ जमीन का आवंटन सरकार की खाली पड़ी जमीन पर मिला था. रामनगर तहसील के पटवारी हल्का रामपुर की आराजी नंबर 10 में स्थित शासकीय जमीन का आवंटन करने के बाद तत्कालीन सरपंच ने इनके नाम पर कपिलधारा कूप भी स्वीकृत किया, लेकिन इसके बाद अब उसी पंचायत के द्वारा इसी आराजी के कुछ हिस्से पर पुष्कर धरोहर, सड़क और सरकारी स्कूल का भवन बना दिया. अब इन आदिवासियों के सामने इस बात का धर्मसंकट है कि वे अपनी जमीन कैसे वापस लें...
निकल गई हाथ से जमीन
रामनगर के बड़ा इटमा में रहने वाले दोले कोल, गौरी, नंदलाल, ठगुआ, ददूली, जागेश्वर, घिनहा और रंगा के परिवार के नाम पर करीब 20 साल पहले रामपुर गांव की आराजी नंबर 10 का आवंटन किया गया था. आवंटित जमीन पर पंचायत ने इन लोगों के नाम पर ही कपिलधारा कूप का निर्माण कराया था ताकि यह अपनी जमीन की सिंचाई कर खेती कर सकें. वहीं, तब आदिवासियों ने इसके महत्व को नहीं समझा और जब उन्हें समझ में आया तब तक इस जमीन का उपयोग अन्य प्रकार के सार्वजनिक निस्तार के कामों में होने लगा.
राजस्व विभाग नहीं करा रहा सीमांकन
आवंटन में मिली जमीन खो चुके परिवार लगातार तहसील के चक्कर काटकर जमीन का सीमांकन कराने की मांग कर रहे हैं. पिछले दिनों राजस्व विभाग की अनुविभागीय अधिकारी रामनगर को ज्ञापन देकर यह मामला संज्ञान में लाया. हालांकि, अभी तक इस दिशा में कोई पहल होती दिखाई नहीं दे रही है. उधर, आदिवासी अपनी जमीन वापस पाने के लिए परेशान हैं. अब यह जांच का विषय है कि आदिवासियों की आवंटित जमीन पर पुष्कर धरोहर, सरकारी स्कूल और सड़क किसके आदेश से बना दी गईं? क्या निर्माण से पहले जमीन का खसरा अधिकारियों ने नहीं देखा.
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एडीएम बोले- जांच कराएंगे
आदिवासियों की जमीन में तालाब, सड़क और स्कूल बनाए जाने के मामले को जब एनडीटीवी ने मैहर अपर कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह के संज्ञान में लाया, तो उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच कराई जाएगी. चूंकि यह सभी सार्वजनिक उपयोग में हैं, ऐसे में हम प्रयास करेंगे कि किसी अन्य जमीन पर संभावना देखकर समस्या का निदान करने का प्रयास करेंगे.
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