
भोपाल : मध्य प्रदेश की छह जांच एजेंसियों को लेकर राहत वाली खबर आई है, राजधानी भोपाल से. तो पहले आपको बता दें, ये छह जांच एजेंसियां कौन-कौन सी है. इनका नाम है लोकायुक्त,EOW ,STF ,CID ,सायबर सेल और नारकोटिक्स. ताजा अपडेट के मुताबिक, इन सभी एजेंसियों को गिरफ्तार किए गए या हिरासत में लिये गए आरोपी को स्थानीय कार्यालयों में रखने की अनुमति मिल गई है.

इन एजेंसियों को लोकल ऑफिस में लॉकअप भी बनवाना होगा
इससे पहले यह सभी जांच एजेंसियां केवल भोपाल में स्थित अपने थानों में ही हिरासत में लिए गए किसी आरोपी को रख सकती थी, साइबर सेल, लोकायुक्त, एसटीएफ, सीआईडी के पास केवल भोपाल में ही थाना है.ऐसे में प्रदेश के अन्य जिलों से गिरफ्तार किये गए आरोपियों को लोकल पुलिस स्टेशन में रखने की मजबूरी थी.अब प्रदेश के अन्य जिलों में इन एजेंसियों द्वारा हिरासत में लिये गए आरोपियों को स्थानीय कार्यालय में रखा जा सकेगा. हालांकि, इन एजेंसियों को लोकल ऑफिस में लॉकअप भी बनवाना होगा.
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गृह विभाग ने अधिसूचना जारी की

ऐसे गंभीर अपराध जिनमें 7 साल से ज्यादा के सजा का प्रावधान है उन सभी की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी. इसके साथ ही ऐसे सभी मामलों में FSL की टीम को भी मौके पर बुलाना होगा. राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के मुताबिक इस व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से प्रदेशभर में लागू किया जाना है. सबसे पहले भोपाल और इंदौर कमिश्नरेट में 30 जून 2027 से इसे अनिवार्य किया जाएगा. अन्य जिलों में भी इसे लागू करने की टाइम लिमिट तय कर दी गई है.
भोपाल ग्रामीण ,इंदौर ग्रामीण , ग्वालियर, देवास, रतलाम, शाजापुर, मंदसौर ,नीमच ,उज्जैन, धार, खरगोन, खंडवा, सीहोर ,रायसेन , सागर,छतरपुर ,बैतूल ,जबलपुर, कटनी, रीवा ,सतना ,मुरैना, भिंड और छिंदवाड़ा में इसे 30 जून 2028 से लागू किया जाएगा , शेष बचे हुए जिलों में यह व्यवस्था 30 जून 2029 तक लागू होगा.
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