मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) शहर में ईद (Eid al-Fitr 2024) के मौके पर हर साल गंगा जमनी तहजीब का एक अनोखा नजारा देखने को मिलता है. यहां एक हिंदू परिवार हर साल ईद के मौके पर शहर काजी को उनके घर से पूरे सम्मान के साथ बग्घी पर बैठाकर मुख्य ईदगाह (Idgah) ले जाता है और सामूहिक नमाज के बाद वापस छोड़ता है.
एकता और भाईचारे की मिसाल पेश करते सलवाड़िया परिवार
स्थानीय नागरिक सत्यनारायण सलवाड़िया ने बताया कि ये परंपरा उनके पिताजी के समय से चली आ रही है, जब शहर काजी डॉक्टर इशरत अली साहब के पिताजी शहर के काजी थे. इसी तरह उनके पिता भी उन्हें बग्घी पर बैठा कर मुख्य ईदगाह ले जाते थे और सामूहिक नमाज के बाद वापस छोड़ते थे. उन्होंने बताया कि हमारे परिवार का बस यही मकसद है कि हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारा कायम रहे. यह सिर्फ हमारे देश में ही होता है, जब सभी मिल जुलकर एक दूसरे का त्यौहार मनाते हैं.
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50 साल से चली आ रही ये परंपरा
परंपरा के तहत शहर काजी मोहम्मद इशरत अली को उनके राजमोहल्ला स्थित घर से बग्घी पर बैठाकर सदर बाजार के मुख्य ईदगाह लाया गया और सामूहिक नमाज के बाद उन्हें वापस छोड़ा जाएगा. दरअसल, सत्यनारायण सलवाड़िया के पिता रामचंद्र सलवाड़िया ने ये परम्परा करीब 50 साल तक निभाई. हालांकि उनका साल 2017 में निधन हो गया, जिसके बाद से ये परंपरा सत्यनारायण सलवाड़िया खुद निभा रहे हैं.
इंदौर में गंगा जमुना तहजीब का अनोखा नजारा पेशकश
शहर काजी डॉक्टर इशरत अली ने बताया कि देश में मोहब्बत कायम है. राजनीतिक चश्मे से देखने पर हिंदू मुस्लिम लड़ते हुए नजर आएंगे, लेकिन जब सामाजिक चश्मे से देखते हैं तो उनमें कोई फर्क नजर नहीं आएगा. गंगा जमुना तहजीब का ये नजारा इंदौर में ही देखने को मिलता है.
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