
Madhya Pradesh News: वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर अक्सर वन विभाग और वनवासियों के बीच अक्सर तकरार होती रहती थी. कभी - कभी ये तकरार हिंसक रूप भी ले लेती थी, लेकिन बैतूल के दक्षिण वन मंडल ने एक ऐसी नायाब तरकीब के साथ काम किया है जिससे बिना किसी विरोध के ना केवल 130 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमण मुक्त हो गई. बल्कि वन विभाग ने चार गांवों के 280 से ज्यादा युवाओं को रोजगार के काबिल बना दिया. यानी वन विभाग की वजह से जो लोग पहले जंगल को नुकसान पहुंचाते थे आज वही एक - एक पेड़ की रक्षा कर रहे हैं . इस प्रयास ने पूरे देश के सामने एक मिसाल पेश की है.
कुछ महीने पहले तक थे बेरोजगार अब कर रहे हैं कई काम
बैतूल के वन विद्यालय में यूनिफॉर्म पहनकर सैकड़ों युवा अपना प्रमाणपत्र लेने पहुंचे. अब से कुछ महीनों पहले तक ये सभी बेरोजगार थे. बेरोजगरी के चलते कुछ महीने पहले यही युवा जंगलों पर अतिक्रमण करके सागौन की तस्करी करते थे और वन्य जीवों को नुकसान पहुंचाते थे. लेकिन अब इनमें से कोई इलेक्ट्रिशियन बन गया है , कोई वाहन चालक, कोई सिलाई- कढ़ाई करके आत्मनिर्भर है तो कोई मशरूम उत्पादन कर रहा है.
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वन मंडल के डीएफओ और उनके स्टाफ का बड़ा योगदान
इन युवाओं की तकदीर बदलने में बैतूल के दक्षिण वन मंडल के डीएफओ और उनके स्टाफ का बड़ा योगदान रहा है. दरअसल वन मंडल के सांवलमेंढा वन परिक्षेत्र के ग्राम जामुनली ,डेडवाकुण्ड, पाटोली और आडाउम्बर के आसपास साल 2013 से 2021 तक 130 हेक्टेयर जंगल मे अतिक्रमण था. ग्रामीणों की जंगल पर अत्यधिक निर्भरता से जंगल बर्बाद हो रहे थे. अगर सख्ती बरती जाती तो हालात बिगड़ जाते. डीएफओ विज्याआनंतम टीआर ने इसका हल निकाला और चार ग्रामों के 280 से ज्यादा युवाओं को अलग - अलग विधाओं की ट्रेनिंग देकर उन्हें रोजगार के काबिल बनाया गया.