IAS Officer Swapnil Wankhede: मध्य प्रदेश में IAS अधिकारी (IAS officer) स्वप्निल वानखेड़े (IAS Officer Swapnil Wankhede) अपनी कार्यशैली और नवाचारों के दम पर लगातार सुर्खियों में बने रहते हैं. जबलपुर से लेकर दतिया तक... जहां भी पोस्टिंग मिली वहां उन्होंने नई मिसाल पेश की. कभी सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे IAS स्वप्निल वानखेड़े ने नौकरी छोड़कर UPSC की कठिन राह चुनी. कई असफलताओं के बाद 2015 में 132वीं रैंक हासिल कर IAS बने.
जबलपुर में रैन बसेरा बनाने से लेकर अनाथ बच्चियों की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाने तक, उनकी कहानी पूरे भारत में प्रेरणा बन चुकी है. आज हम बताएंगे दतिया के कलेक्टर और IAS अधिकारी स्वप्निल वानखेड़े की अनोखी और इंस्पायरिंग जर्नी....
होशंगाबाद से दतिया तक... दिखाया कमाल
IAS अधिकारी स्वप्निल वानखेड़े जनसुनवाई में ऑन द स्पॉट शिकायत निवारण के लिए भी काफी सुप्रसिद्ध है... वो दतिया जिले में मंगलवार को जनसुनवाई करते हैं तो इस दौरान शिकायतों की बहार आ जाती है... ऐसा नहीं कि सिर्फ कागजों में सुनवाई होती है, बल्कि मौके पर जिस अधिकारी की शिकायत होती है उन्हें फोन लगाकर अवगत कराया जाता है. इसके बाद समस्या का निराकरण होता... अगर समस्या का निराकरण नहीं होता है तो उस अधिकारी को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है... ऐसा खामियाजा जिला शिक्षा अधिकारी यू एन मिश्रा को उठाना पड़ा... यू एन मिश्रा पेंशनरों की शिकायतों का हल नहीं कर रहे थे.. इस मामले में दतिया कलेक्टर वानखेड़े ने फटकार लगाई, लेकिन इसके बावजूद जब निराकरण नहीं हुआ तो उन्हें पद से हटा दिया गया.
सधारण परिवार में जन्में स्वप्निल वानखेड़े
IAS अधिकारी स्वप्निल वानखेड़े का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ है. उनके पिता टीचर थे, जबकि मां स्टाफ नर्स थीं. मां का हर 3 साल में ट्रांसफर हो जाता था... ऐसे में स्वप्निल वानखेड़े का स्कूल भी बदल जाता था. उन्होंने शुरुआती पढ़ाई अमरावती के सरकारी स्कूलों से की. इसके बाद 12वीं तक नवोदय विद्यालय से पढ़ाई की. फिर नागपुर यूनिवर्सिटी से इंजनीयरिंग की पढ़ाई की.
ईमानदारी है इनकी पहचान
पढ़ाई के बाद अच्छी खासी नौकरी भी मिल गई. उन्होंने 3 सालों तक मुम्बई में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी की. लेकिन उनका दिल कहता था कि जिंदगी में सुकून मोटी सैलरी से नहीं, बल्कि लोगों की भलाई से मिलेगी... हालांकि उन्होंने नौकरी छोड़ UPSC की कठिन राह चुन ली... IAS बनने के लिए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की, लेकिन बार बार असफलता मिली. कहते हैं कि हार तब तक नहीं होती, जब तक आप हार नहीं मानते... ये लाइन IAS अधिकारी स्वप्निल वानखेड़े पर सटीक बैठता है.
2015 में 132वीं रैंक हासिल कर बने IAS
2013 में उनका चयन असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर हुई... फिर 2014 में इनकम टैक्स में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर चयन हुआ. चौथे प्रयास में 2015 यूपीएससी परीक्षा में स्वप्निल वानखेड़े IAS अधिकारी बने. इस परीक्षा में वो 132वीं रैंक हासिल की.
नर्मदापुरम में हुई थी स्वप्निल वानखेडे की पहली पोस्टिंग
स्वप्निल वानखेडे की पहली पोस्टिंग नर्मदापुरम में सहायक कलेक्टर के पद पर हुई...हालांकि तब ये होशंगाबाद के नाम से जाना जाता था. फिर राजनगर के एसडीएम बने... इसके बाद रीवा और सीहेर में जिला पंचायत सीईओ के पद पर पोस्टिंग हुई. इसके अलावा जबलपुर में नगर निगम कमिश्नर बने. फिर सतना में एडिशनल कलेक्टर पर पदस्त हुए. इसके बाद IAS स्वप्निल वानखेड़े को हरदा जिले में कलेक्टर पद की कमान दी गई.
कई बार सम्मानित हो चुके हैं स्वप्निल वानखेड़े
इनके द्वारा किए गए कामों के लिए इन्हें सम्मानित भी किया गया है. जब रीवा-सीहोर जिला पंचायत सीईओ, तब पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा सम्मानित किया गया था. दरअसल, उन्हें ऑन-द-स्टॉप शिकायत निराकरण के लिए के लिए सम्मानित किया गया था. इसके बाद जब जबलपुर में नगर निगम कमिश्नर के पद पर थे, तब मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सम्मानित किया था. बता दें कि जबलपुर में स्वप्निल वानखेड़े ने रैन बसेरा बनाया था, जिसकी चर्चा मध्य प्रदेश समेत पूरे भारत में हुआ था. इसके अलावा में दतिया में श्रेष्ठ कार्य के लिए उन्हें सम्मानित किया गया.
IAS अधिकारी स्वप्निल वानखेड़े ने यंग जनरेशन को दिए खास संदेश
IAS अधिकारी स्वप्निल वानखेड़े NDTV से बातचीत में कहते हैं, 'जब हमारा लक्ष्य बड़ा होता है... जब ध्येय बड़ा होता है और जब सपने बड़े होते हैं तो चुटकियों और शॉर्ट टर्म में परिणाम नहीं मिलते हैं. खुद को समझना.. और सयम रखना बेहद जरूरी होता. सयम रखिये, खुद पर विश्वास होना चाहिए कि जो हम कर रहे हैं वो सही है... तो जीत अवश्य मिलती है.'