Diwali Festival: दीवाली (Diwali) पर मिठाईयां खाने और देने का प्रचलन आम बात है, लेकिन यह मिठाई (Sweets) अगर मावे (Mawa) की है तो आप सावधान हो जाइए! क्योंकि यह मावा नकली और मिलावटी ही नहीं जहरीला भी हो सकता है. पुलिस (Police) और प्रशासन से बचने के लिए अब मावा माफिया घने जंगलों में यह नकली मावा बनाने का काम कर रहे हैं. पुलिस ने मिलावटी मावा बनाने की चार फैक्ट्रियां उन घने जंगल और बीहड़ो में पकड़ीं जहां एक दशक पहले कुख्यात गडरिया डकैत गैंग न केवल शरण पाता था बल्कि उसने नरसंहार भी किया था.
ग्वालियर पुलिस एक्शन मोड पर
इस समय ग्वालियर में प्रशासन और पुलिस ने नकली मावा के खिलाफ सघन अभियान छेड़ रखा है, क्योंकि यहीं से देश भर में इसकी सप्लाई होती है. कुछ दिनों से सूचना मिल रही थी कि अब मावा माफिया पुलिस की नजरों से बचने के लिए जंगलों में उपकरण लगाकर इस मिलावटी मावा तैयार कर गोपनीय रास्तों से प्रदेश में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना अशोकनगर सहित कई जिलों में भेज रहे हैं और फिर वहां से यह मुंबई, दिल्ली जैसे महानगरों को भेजा जा रहा है.
पुलिस का क्या कहना है?
एसपी धर्मवीर सिंह ने बताया कि भंवरपुरा से 7 किलोमीटर अंदर सिकरावली के जंगली इलाके में पुलिस को नकली मावा बनाने की चार चलती फैक्ट्री मिली हैं. टीम को मौके पर एक क्विंटल मिलावटी मावा और लगभग 25 किलो घी मिला. यह मावा और घी अमानक पदार्थो को मिलाकर तैयार किया जा रहा था. यहां रिफाइंड और अन्य केमिकल भी मिले. इनमें राम भजन गुर्जर के यहां 10-10 किलो घी और रिफाइंड तेल, रामवीर गुर्जर, देवेन्द्र गुर्जर, बंटी गुर्जर के यहां 15-15 किलो मावा मिला. इसके अलावा सभी के यहां पामोलिव के अलावा अन्य केमिकल भी मिले. खाद्य विभाग की टीम ने यहां से जप्त सभी सामान के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे हैं. यहां से चार लोगों को हिरासत में लेकर इनके सप्लाई नेक्सस को लेकर भी पूछताछ की जा रही है.
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