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This Article is From Jul 26, 2023

मंडला- बाघों से है जिले की पहचान, मंडला में है प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान

मध्य प्रदेश की जीवन दायिनी नदी नर्मदा मंडला से होकर गुजरती है, बल्कि यदि यूं कहा जाए की ये जिला तीन तरफ से नर्मदा नदी से घिरा हुआ है, तो गलत नहीं होगा. नदी के तट पर बसे होने की वजह से यहां का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है.

मंडला- बाघों से है जिले की पहचान, मंडला में है प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान

मंडला मध्य प्रदेश का एक आदिवासी बहुल जिला है. ये जिला बैगा, गोंड, उरांव जैसी कई जनजातियों का मूल निवास माना जाता है. मध्य प्रदेश की जीवन दायिनी नदी नर्मदा इस जिले होकर गुजरती है, बल्कि यदि यूं कहा जाए की ये जिला तीन तरफ से नर्मदा नदी से घिरा हुआ है, तो गलत नहीं होगा. नदी के तट पर बसे होने की वजह से यहां का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है. मंडला का नाम मध्य प्रदेश के इतिहास में भी काफी महत्वपूर्ण है. ये इलाका गोंड रानी दुर्गावती का गढ़ हुआ करता था. मंडला जिले का सबसे बड़ा आकर्षण यहां का कान्हा नेशनल पार्क है. जिसे देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं. इसे कान्हा टाइगर रिजर्व के नाम से भी पहचाना जाता है. 

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान

मंडला से लेकर बालाघाट जिले तक फैला हुआ करीब 940 वर्ग किमी के इलाके में फैला ये जंगल मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान कहलाता है. साल 1955 में इसे राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया और 1973 में यहां बाघों की तादाद को देखते हुए इस टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया. इस नेशनल पार्क में बाघों की संख्या 135 से 140 तक बताई जाती है. पर्यटकों की दृष्टि से देखें तो इस अभ्यारण में टाइगर को देखे जाने और तस्वीर लेने की संभावना काफी अधिक होती है. इसके अलावा बारहसिंगा जैसे खूबसूरत प्राणी भी यहां की पहचान है. ये हिरण की एक दुर्लभ प्रजाति है जो अपने आकर्षक सींगों के लिए पहचानी जाती है. अब ये प्रजाति इसी इलाके में सिमटकर रह गई है. 

सहस्त्रधाराओं का मिलन

सहस्त्रधारा मंडला जिले में नर्मदा नदी के किनारे का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है. दरअसल यहां नर्मदा नदी कई धाराओं में झरने के रूप में दिखाई देती हैं और बाद में मिल जाती है. हजारों छोटी-बड़ी धाराओं का मिलन स्थल होने के कारण ही इसे सहस्त्रधारा का नाम दिया गया है. ये एक रमणीय पर्यटन स्थल तो हैं ही, साथ ही इसका धार्मिक महत्व भी माना जाता है. 

कृषि व वनोपज पर निर्भर आदिवासी जिला

आदिवासी इलाका होने के कारण मंडला जिले की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर करती है. यहां धान, गेहूं, दालें और तिलहन की खेती होती है. इसके अलावा मंडला के जंगलों से प्राप्त वनोपज और जैविक उत्पादों की भी काफी मांग रहती है. कृषि कार्य की अधिकता के कारण इस जिले के मंडला, नैनपुर और बिछिया में कुल मिलाकर 3 कृषि उपज मंडियां हैं. मंडला जिले में 6 तहसीलें और 9 विकासखंड हैं. 

मंडला जिला एक नज़र में-

  • ब्लॉक-9 
  • गांव- 1221
  • तहसील- 6
  • नगर पालिका- 5
  • भाषा- हिन्दी, गोंडी

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Mandla, Madhya Pradesh State, मंडला
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