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29 साल तक फरार रहा ये आरोपी! 65 की उम्र में पुलिस ने पकड़ा, जानें क्या है पूरी कहानी

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में 29 Years Absconding Case का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. चोरी के मामले में फरार आरोपी को Ratlam Police Action के तहत 65 साल की उम्र में गिरफ्तार किया. यह Madhya Pradesh Crime News बताती है कि कानून देर से सही, लेकिन अपराधियों तक जरूर पहुंचता है.

29 साल तक फरार रहा ये आरोपी! 65 की उम्र में पुलिस ने पकड़ा, जानें क्या है पूरी कहानी

29 Years Absconding Case: कहते हैं कानून के हाथ लंबे होते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की यह कहानी इस कहावत को सच साबित कर देती है. चोरी की वारदात के बाद करीब 29 साल तक फरार रहा आरोपी आखिरकार पुलिस की पकड़ में आ ही गया. जवानी में किया गया अपराध बुढ़ापे तक पीछा करता रहा और अब 65 साल की उम्र में उसे कानून के सामने जवाब देना पड़ा.

1996 में की चोरी, फिर हो गया फरार

मामला साल 1996 का है, जब रतलाम जिले के आलोट थाना क्षेत्र में चोरी की एक वारदात हुई थी. घटना के बाद आरोपी मुनिया उर्फ गुनिया फरार हो गया. तब से वह लगातार पुलिस की नजरों से बचता रहा और मामला फाइलों में दबा जरूर रहा, लेकिन खत्म नहीं हुआ.

29 साल तक बदले ठिकाने

फरारी के इन वर्षों में आरोपी ने अपनी पहचान और ठिकाने बदलते हुए जिंदगी गुजारी. कभी किसी गांव में तो कभी दूसरे जिलों में छिपकर वह रहने लगा. बाहर से भले ही वह आजाद नजर आता रहा हो, लेकिन डर और अनिश्चितता उसकी जिंदगी का हिस्सा बने रहे.

65 साल की उम्र में हुई गिरफ्तारी

करीब तीन दशकों बाद अब वही आरोपी, जो कभी जवान था, 65 साल की उम्र में पुलिस के सामने खड़ा है. आलोट न्यायालय द्वारा जारी स्थायी गिरफ्तारी वारंट के आधार पर उसकी तलाश जारी थी, जो अब जाकर पूरी हुई.

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पुलिस की सटीक कार्रवाई

पुलिस अधीक्षक अमित कुमार के विशेष अभियान के तहत यह सफलता मिली. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक कुमार लाल और एसडीओपी आलोट पल्लवी गौर के मार्गदर्शन में थाना आलोट पुलिस ने मुखबिर की पुख्ता सूचना पर ग्राम नेगरुन, थाना ताल क्षेत्र से आरोपी को गिरफ्तार किया.

पुराने मामलों पर भी नजर

यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि पुलिस सिर्फ नए अपराधों पर ही नहीं, बल्कि पुराने और लंबित मामलों पर भी लगातार नजर रखे हुए है. समय कितना भी बीत जाए, अपराध की फाइल बंद नहीं होती. यह मामला समाज को साफ संदेश देता है कि अपराध से बचने का कोई स्थायी रास्ता नहीं होता. जवानी में किया गया गलत काम देर-सबेर सामने आता ही है. कई बार देर से मिलने वाली सजा ज्यादा भारी और तकलीफदेह साबित होती है.

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