Mandla Naxal Free: मंडला जिले के जंगलों में दशकों से छिपे नक्सलवाद का अध्याय आखिरकार खत्म हो गया है. केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त जिला बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन मंडला ने तय समय से पहले ही खुद को हिंसा और भय के इस साए से आज़ाद कर लिया. लंबे समय से दहशत में जी रहे लोगों के लिए यह ऐतिहासिक बदलाव किसी राहत से कम नहीं है.
नक्सलवाद से त्रस्त रहा मंडला जिला
मंडला का बड़ा हिस्सा, खासकर मोतीनाला, मवई और बिछिया थाना क्षेत्रों का वनांचल इलाके, कई वर्षों से नक्सलियों की गतिविधियों से प्रभावित रहा. छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे होने के कारण यह क्षेत्र नक्सलियों के लिए सुरक्षित ठिकाना माना जाता था. कान्हा भोरमदेव दलम, बोड़ला कमेटी और खटिया-मोचा दलम जैसे संगठनों के करीब 50 सशस्त्र नक्सली यहां सक्रिय रहते थे और ग्रामीणों के बीच लगातार खौफ का माहौल बना रहता था.
ग्रामीणों और पुलिस के लिए रहा बड़ा चुनौती
इन नक्सलियों ने वर्षों तक न सिर्फ ग्रामीणों की आज़ादी को बंधक बनाकर रखा बल्कि पुलिस और वन विभाग के लिए भी यह बड़ी चुनौती बने रहे. कई बार सुरक्षा बलों पर हमले, ग्रामीणों को धमकी और विकास कार्यों में बाधा डालना जैसी घटनाएं यहां आम बात थीं. जंगल में बसे गांवों में लोग भय के कारण रात में दीया तक नहीं जलाते थे.
दो वर्षों की लगातार कार्रवाई ने बदले हालात
बीते दो सालों में पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ तेज और लगातार अभियान चलाया. इस दौरान कई बार मुठभेड़ हुई, कई ठिकानों को ध्वस्त किया गया और उनकी सप्लाई लाइन को तोड़ा गया. इसके साथ ही ग्रामीणों के बीच जनजागरूकता अभियान चलाकर उन्हें नक्सलवाद के खतरों और सरकार की योजनाओं के बारे में बताया गया.
रोजगार और जागरूकता कार्यक्रम बने गेमचेंजर
नक्सलवाद को कमजोर करने में रोजगार आधारित कार्यक्रमों ने बड़ी भूमिका निभाई. लोगों को आजीविका से जोड़ने, युवाओं को प्रशिक्षण देने और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने से नक्सलियों का समर्थन आधार तेजी से टूटने लगा. नक्सली खुद भी समझने लगे कि हथियारों के सहारे भविष्य नहीं बदला जा सकता.
ये भी पढ़ें- Panther rescue: घर में घुसा तेंदुआ, रेस्टोरेंट संचालक पर किया हमला, इलाके में दहशत
एनकाउंटर के साथ-साथ दिखाई गई पुनर्वास की राह
पुलिस ने केवल कार्रवाई ही नहीं की, बल्कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास नीति समझाकर उन्हें बेहतर जीवन की तरफ बढ़ने का मौका भी दिया. कई नक्सलियों ने हथियार डाल दिए और मुख्यधारा का हिस्सा बनना शुरू किया. यह रणनीति नक्सली गतिविधियों को लगभग पूरी तरह खत्म करने में निर्णायक साबित हुई.
एसपी ने कहा- रणनीति और टीमवर्क से सफलता
मंडला के पुलिस अधीक्षक रजत सकलेचा ने बताया कि पिछले वर्षों में एक संगठित रणनीति के तहत लगातार कार्य किया गया. उनका कहना है कि पुलिस, प्रशासन और आम लोगों के सहयोग से यह लक्ष्य समय से पहले हासिल हो पाया है. अब जिला नक्सल मुक्त घोषित हो चुका है, जो पूरे क्षेत्र के लिए गर्व और राहत का विषय है.
ये भी पढ़ें- होटल में ठहरने वाले जोड़े सावधान! जली थी लाइट, हटा था पर्दा और खिड़की से बन गया कपल का आपत्तिजनक वीडियो