MP News : मध्य प्रदेश के धार जिले के अंतर्गत पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा जलाने का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. जैसे-जैसे कचरा जलाने की तारीख नजदीक आ रही है. लोगों का विरोध बढ़ता हुआ नजर आ रहा है, जबलपुर हाईकोर्ट की 6 जनवरी की डेडलाइन जारी होने के बाद से ही पीथमपुर की आम जनता अब सड़कों पर आ गई. आम लोगों का मानना है कि पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा कभी भी आ सकता है. उसी को लेकर आज बड़ी संख्या में पीथमपुर रक्षा मंच द्वारा रामेश्वर मंदिर छत्रछाया कालोनी से काली पट्टी बांधकर एक विशाल रैली निकाली गई. इस विशाल रैली में हजारों की संख्या में पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र की महिलाएं पुरुष शामिल हुए.
पीथमपुर को भोपाल नहीं बनने देंगे
रैली में महिला पुरुषों के हाथ में पीथमपुर को भोपाल नहीं बनने देंगे आदि लिखी हुई तख्तियां हाथों में दिखाई दी. रैली में शामिल हुए हजारों की तादाद में लोगों ने जमकर नारेबाजी भी की. रैली की शुरुआत छत्रछाया कॉलोनी से शुरू होकर महाराणा प्रताप बस स्टैंड पर समाप्त हुई. यूनियन कार्बाइड के विरोध में निकाली गई. इस विशाल रैली में प्रमुख रूप से नगर पालिका अध्यक्ष सेवंती सुरेश पाते समेत कई लोग शामिल हुए.
'आम लोगों का ख्याल भी रखा जाए'
आम लोगों का मानना है कि भोपाल गैस कांड और यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे से पीथमपुर इंदौर सहित बड़ी मात्रा में फसल और पानी खराब होगा. न्यालय के आदेश का हम सम्मान करते हैं. लेकिन पीथमपुर की जनता और आम लोगों का ख्याल भी रखा जाए. आने वाली पीढ़ियों को इस जहरीले कचरे के दुष्परिणाम भोगने होंगे. पीथमपुर रक्षा समिति के लोगों ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम पीथमपुर नगर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंप पीथमपुर में कचरा न जलाया जाए व न्यायालय से पुनर्विचार की मांग की है.
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'हम इसे सुरक्षित तौर पर पीथमपुर भेजकर नष्ट करेंगे'
राज्य के गैस राहत और पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘भोपाल गैस त्रासदी का कचरा एक कलंक है जो 40 साल बाद मिटने जा रहा है. हम इसे सुरक्षित तौर पर पीथमपुर भेजकर नष्ट करेंगे." उन्होंने कहा कि इस रासायनिक कचरे को भोपाल से पीथमपुर भेजने के लिए करीब 250 किलोमीटर लंबा ‘ग्रीन कॉरिडोर' बनाया जाएगा. ‘ग्रीन कॉरिडोर' का मतलब सड़क पर यातायात को व्यवस्थित करके कचरे को कम से कम समय में गंतव्य तक पहुंचाने से है'. सिंह ने इस कचरे को पीथमपुर भेजकर नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू किए जाने की कोई विशिष्ट तारीख बताने से इनकार कर दिया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि उच्च न्यायालय के निर्देश के मद्देनजर यह प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है.गैस राहत और पुनर्वास विभाग के निदेशक ने बताया कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में शुरुआत में कचरे के कुछ हिस्से को जलाकर देखा जाएगा और इसके ठोस अवशेष (राख) की वैज्ञानिक जांच की जाएगी ताकि पता चल सके कि इसमें कोई हानिकारक तत्व बचा तो नहीं रह गया है.
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