Dhar Bhojshala and Kamal Maula Masjid Case: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की हाई कोर्ट खंडपीठ में धार भोजशाला और कमाल मौला मस्जिद विवाद को लेकर सुनवाई हुई. इसमें ASI द्वारा मांगी गई 15 दिन की मोहलत को हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया. हाईकोर्ट ने 15 जुलाई तक रिपोर्ट पेश करने के आदेश दे दिए, साथ ही सुनवाई की अगली तारीख 22 जुलाई तय कर दी है .इस विवाद में हिंदू समाज के साथ-साथ जैन समाज द्वारा एक अलग से याचिका दायर कर धार भोजशाला कमाल मौला मस्जिद को जैन मंदिर बताने की याचिका पर भी हिंदू पक्ष के याचिकर्ता ने अपनी बात रखी.
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने गुरुवार को धार की विवादित धार्मिक स्थल भोजशाला मामले की सुनवाई की है. युगलपीठ के प्रशासनिक न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति डीवी रमन्ना ने प्रकरण में लगी जनहित याचिकाओं के पक्षकारों की दलीलें सुनीं. युगलपीठ ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI ) के अधिवक्ता हिमांशु जोशी द्वारा सर्वे रिपोर्ट सौंपने के लिए मोहलत मांगे जाने पर आगामी 15 जुलाई तक रिपोर्ट सुपुर्द करने के निर्देश दिए हैं.
दिल्ली के वरिष्ठ वकील भी हुई सुनवाई में शामिल
मौलाना कमालउद्दीन के अध्यक्ष समद खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखा. खुर्शीद ने मांग की कि एएसआई द्वारा भोजशाला स्थल में की जा रही खुदाई और सर्वे कार्य को तत्काल रोका जाए. जिस पर ASI के अधिवक्ता जोशी ने कोर्ट को बताया कि चूंकि बारिश जारी है और इस दौरान सर्वे कार्य के लिए की गई खुदाई की मरम्मत किया जाना जरूरी है. यदि भोजशाला सर्वे स्थल को दोबारा दुरुस्त नहीं किया गया तो यहां बनी मजार को नुकसान हो सकता है. जिस पर न्यायालय ने सर्वे के लिए की गई खुदाई और अन्य कार्यों को पूरा करने के लिए अनुमति दे दी है.
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इस याचिका को अलग से सुने जाने की व्यवस्था
युगल पीठ ने मामले की आगामी सुनवाई 22 जुलाई को निर्धारित की है. भोजशाला को लेकर विश्व जैन संगठन ने भी अपना अधिकार बताते हुए एक याचिका पृथक से दायर की है. जैन समाज की ओर से उपस्थित हुए अधिवक्ता ने उनकी याचिका को मुस्लिम पक्ष और हिन्दू पक्ष की याचिकाओं के साथ जोड़कर सुनवाई किए जाने की प्रार्थना की है. इस पर न्यायालय ने जैन समाज की याचना को अलग से सुने जाने की व्यवस्था दी है. इसका अर्थ है कि जैन समाज के पक्ष को न्यायालय जारी दोनों हिन्दू व मुस्लिम पक्ष की याचिकाओं के साथ नहीं सुनेगा. जैन समाज की याचिका को अब भविष्य में अलग से सुना जा सकता है.
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